Hindi, asked by bindulataabasti, 9 months ago

विचार लो कि मर्त्य हो, न मृत्यु से डरो कभी,
मरो, परंतु या मरो, कि याद जो करें सभी।
सुमृत्यु तो वृथा मरे वृथा जिए,
मरा नहीं वही कि जो, जिया न आपके लिए।
यही
पशु प्रवृत्ति है, कि आप ही आप चरे,
वही मनुष्य है, कि जो मनुष्य के लिए मरे।
कवि ने किस बात को पशु-प्रवृत्ति कहा है?
उपरोक्त कविता का आशय अपने शब्दों में लिखिए​

Answers

Answered by medoremon08
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कवि यह कहना चाह रहे हैं कि हर मनुष्य को एक ना एक दिन मरना है इसीलिए हमें मृत्यु से घबराना नहीं चाहिए। बल्कि ऐसा काम करके इस दुनिया से जाना चाहिए कि सब लोग हमें याद रखें. उस आदमी का जीना या मरना अर्थहीन है जो अपने स्वार्थ के लिए जीता या मरता है। जिस तरह से पशु का अस्तित्व सिर्फ अपने जीवन यापन के लिए होता है, मनुष्य का जीवन वैसा नहीं होना चाहिए। ऐसा जीवन जीने वाले कब जीते हैं और कब मरते हैं कोई ध्यान ही नहीं देता है। हमें दूसरों के लिए कुछ ऐसे काम करने चाहिए कि मरने के बाद भी लोग हमें याद रखें। साथ में हमें ये भी अहसास होना चाहिए कि हम अमर नहीं हैं। इससे हमारे अंदर से मृत्यु का भय चला जाता है।

Answered by akhilkedia4
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Explanation:

in panktiyon mein kaun sa bhav nihit hai

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