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कृति ४ : (स्वमत अभिव्यक्ति)
• साहित्य में समालोचना का महत्त्व' विषय पर अपने विचार
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साहित्य में ‘समालोचना’ आखिर क्या है। ‘समालोचना’ वह कसौटी है जिससे किसी साहित्यिक कृति का मूल्यांकन किया जाता है और उस साहित्य कृति में उल्लेखित तथ्यों का विश्लेषण किया जाता है। इस विश्लेषण के आधार पर उस कृति के संबंध में एक निष्कर्ष निकाला जाता है और अपने विचार प्रस्तुत किए जाते हैं कि उस कृति में क्या ठीक है या उसमें क्या कमियां हैं। ताकि मूल रचियता को उसमें या तो सुधार का मौका मिले और यदि रचनाकार नही उस कालखंड में नही है तो फिर भी उस कृति पर आधारित अन्य ग्रंथों में सुधार किया जा सके।
एक ‘समालोचक’ एक रचना की परख अलग-अलग दृष्टिकोण से करता है फिर उसके आधार पर अपना एक निष्कर्ष तैयार करता है। आलोचना कई तरह की हो सकती हैं, जैसे कि शास्त्रीय आलोचना, निर्णयात्मक आलोचना, ऐतिहासिक आलोचना, प्रभाव वादी आलोचना आदि।
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