विचार मंथन: ।। भूलकर भी न करें भूल - बनें फूल, नहीं शूल ।।।
निम्न आधार पर चर्चा करो : भूल, फूल, शूल।
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Explanation:
इस वाक्य का मतलब है
हमें भूल कर भी भूल नहीं करनी चाहिए और अगर हमने भूल कर दी तो हम फूल बन जाते हैं और फूल बनने के बाद हमें गुस्सा नहीं होना चाहिए l
IF IT IS WRONG THAN SORRY.
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Answer:
- फूल और कांटे कविता के लेखक कवि अयोध्या सिंह उपाध्याय हैं।
- इस कविता में फूल और कांटे की चर्चा की गई है।
- कविता के माध्यम से कवि कहना चाहते हैं कि एक ही पौधा में फूल और कांटा दोनों का जन्म होता है, उसी प्रकार जिस प्रकार इस संसार में इस पृथ्वी के दो संतान होते हैं एक अच्छे पुरुष और एक दुराचारी पुरुष।
- इस कविता में तीन शब्दों का प्रयोग हुआ है भूल, फूल, और शूल।
Explanation:
- मनुष्य अपने जीवन में बहुत सारे भूल करता है। किसी की भावनाओं को इतना अधिक व्यथित कर देता है, कि उसकी भूल जो है शूल के समान लगने लगते हैं।
- परंतु उसी संसार में दूसरा मनुष्य जो परोपकारी स्वभाव का होता है, वह किसी व्यक्ति को इतना अधिक मदद करता है कि उस व्यक्ति का स्वभाव उसे फूल के समान लगने लगता है।
- उस व्यक्ति में परोपकार की भावना होती है।
- जिस प्रकार फूल और कांटे एक ही स्थान पर रह कर भी अपना स्वभाव नहीं बदलते।
- एक फूल है जो भंवरे को अपना रसपान करवाता है और एक शूल है जो भंवरे को व्यतथित करता है। उसके पंखों में छेद कर देता है।
- कविता से यही शिक्षा मिलती है कि मनुष्य को ऐसी भूल कभी नहीं करनी चाहिए जो उसे फूल से शूल बना दे।
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