Hindi, asked by sanskarbhoikar, 8 months ago

विचार मंथन
।। वृक्षवल्ली आम्हां सोयरे वनचरे ।। in Hindi subject ​

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Answered by sah934046
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Answer:

वृक्षवल्ली आम्हा सोयरी वनचरे” इस अभंग का हिंदीमें भाषांतर/ अनुवाद। महाराष्ट्रके संतोंकी वाणी व्यापक स्तरपर पहुँचानेका मेरा एक प्रयास।

वृक्ष वल्ली आम्हां सोयरीं वनचरें ।

पक्षी ही सुस्वरें आळविती ।।

यह पेड़ लताएँ (बेल) और वनमें रहने वाले प्राणी (हमें) बहुत प्रिय हैं

पंछी भी बहुत मिठे सुरोंमें कूजन कर रहे हैं

येणें सुखें रुचे एकांताचा वास ।

नाही गुण दोष अंगा येत ।।

जिसे ऐसे एकान्तमें रहने (वास करने) के सुखमें रुची है

उसे (दुनियादारीसे जुड़े/ निहीत स्वार्थसे युक्त ) गुण दोष (देखने) जैसे विचार छू भी नहीं सकते

आकाश मंडप पृथुवी आसन ।

रमे तेथें मन क्रीडा करी ।।

(हम संतोंके लिए) आकाश छत है और यह पृथ्वी आसन (जहाँ बैठना होता है) है

(इस विश्वरुपी घरमें) यह मन जहाँ उसे अच्छा लगे वहाँ (बालकके समान) रममाण होके खेलता है (अच्छाही सोचता है)

कंथाकुमंडलु देहउपचारा ।

जाणवितो वारा अवसरु ।।

जीर्ण वस्त्र और कमण्डलु इस देहको चलानेके लिए काफी हैं

(इसप्रकार निस्वार्थ जीवनमें) हवा भी बहुतही आल्हाददायक लगने लगती है

हरिकथा भोजन परवडी विस्तार ।

करोनि प्रकार सेवूं रुची ।।

हरी (विष्णू / विठ्ठल) कथा यही हमारा भोजन है, (हम) इसका हर प्रकारसे प्रचार करते हैं

हर तरहसे प्रयास करते हैं और रुचिसे (हरीकी) सेवा करते हैं

तुका म्हणे होय मनासी संवाद ।

आपुलाचि वाद आपणांसी ।।

कहे तुकाराम (के) तब अपनेही मनसे संवाद होता है (जब परमात्माके निसर्गरूपमें एकरूप होते हैं)

हम खुदही खुदसे विवाद (चर्चा, तर्कभेद) करने लगते हैं (अपनेमें उस परमात्मा को ढूँढ़ने लगते हैं)

Answered by amikkr
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संत तुकाराम महाराज द्वारा मराठी भाषा में लिखी गई रचना की यह पंक्ति वृक्षों का महत्व मानवीय जीवन में दर्शाती है.

  • इस पंक्ति के अनुसार वृक्ष धरती पर हमारे परम मित्र जैसे हैं अगर वृक्ष नहीं होंगे तो हम जीवित नहीं रहेंगे.
  • इसके बदले में हमें वृक्षों को थोड़ी सी जगह और थोड़ा सा पानी देना है और वह हमें जिंदगी के साथ साथ बहुत कुछ देंगे.
  • वृक्षों से मिलने वाली छाया में बैठकर व्यक्ति को सुख की अनुभूति होती है.
  • वृक्ष पर्यावरण के संतुलन को बनाए रखने के लिए एक महत्वपूर्ण सहायक होते हैं वृक्षों से हमें फल, सब्जियां, औषधि, लकड़ी, आदि चीजें प्राप्त होती है.
  • पक्षी भी अपना बसेरा इन वृक्षों पर ही बनाते हैं और इनके रसीले फल खाकर अपना पेट भरते हैं.
  • अतः जिस प्रकार वृक्ष बिना स्वास्थ्य के अपनी मित्रता निभाते हैं वैसे ही व्यक्ति को भी अपने मित्र वृक्ष की रक्षा करके अपनी मित्रता निभानी चाहिए.
  • यही संदेश इस पंक्ति में दिया गया है.

#SP J2

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