विचारात्मक निबंध हिंदी विषय
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हम भारतीय हैं और हमें एक साथ मिलकर आना चाहिए हमें एक दूसरे से लड़ना झगड़ना नहीं चाहिए एक साथ मिलकर रहना चाहिए
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कई बार लोगों द्वारा यह प्रश्न पूछा जाता है कि आखिर निबंध क्या है? और निबंध की परिभाषा क्या है? वास्तव में निबंध एक प्रकार की गद्य रचना होती है। जिसे क्रमबद्ध तरीके से लिखा गया हो।
निबंध किसी भी विषय के मुख्य विचार और नज़रिए का एक सुव्यवस्थित रूप है। निबंध किसी एक विशेष विषय पर आधारित होता है। निबंध जानकारी, विचार या भावनाओं के संचार का एक प्रबल माध्यम है। निबंध के द्वारा व्यक्ति अपने विचारों का संचार करने में समर्थ हो सकता है। निबंध लेखन आपको एक ऐसा सुअवसर प्रदान करता है, जिससे आप अपने ज्ञान को दूसरों के सम्मुख प्रकट करते हैं।
Explanation:
निबंध की परिभाषा (Definition of essay)
अपने मानसिक भावों या विचारों को संक्षिप्त रूप से तथा नियन्त्रित ढंग से लिखना 'निबन्ध' कहलाता है।
दूसरे शब्दों में - किसी विषय पर अपने भावों को पूर्ण रूप से क्रमानुसार लिपिबद्ध करना ही 'निबंध' कहलाता है।
'निबंध' शब्द दो शब्दों से मिलकर बना है- नि + बंध। इसका अर्थ है भली प्रकार से बंधी हुई रचना। अर्थात वह रचना जो विचारपूर्वक, क्रमबद्ध रूप से लिखी गई हो।
इसके आधार पर हम सरल शब्दों में कह सकते हैं - 'निबंध वह गद्य रचना है, जो किसी विषय पर क्रमबद्ध रूप से लिखी गई हो।'
निबंध के विषय (Essay topics)
साधारण रूप से निबंध के विषय परिचित विषय होते हैं, यानी जिनके बारे में हम सुनते, देखते व पढ़ते रहते हैं; जैसे - धार्मिक त्योहार, राष्ट्रीय त्योहार, विभिन्न प्रकार की समस्याएँ, मौसम आदि।
जीवन के सभी क्षेत्रों में सफल विचार-विमर्श के लिए हमें श्रेष्ठ निबंध लेखन की आवश्वयकता होती है। निबंध किसी भी विषय पर लिखा जा सकता है। आज सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक और वैज्ञानिक विषयों पर निबंध लिखे जा रहे हैं। संसार का हर विषय, हर वस्तु, व्यक्ति एक निबंध का केंद्र हो सकता है।
हिंदी के प्रमुख साहित्यकार आचार्य रामचंद्र शुक्ल ने निबन्ध को परिभाषित करते हुए कहा है-
"निबन्ध लेखन में लेखक अपने मन की प्रवृत्ति के अनुसार स्वच्छंद गति से इधर-उधर फूटी हुई सूत्र शाखाओं पर विचरता चलता है।"
उपरोक्त परिभाषा का अर्थ है कि निबन्ध लेखक के मन की प्रवृत्ति के अनुरूप ही होना चाहिए और निबन्ध का लेखन स्वच्छन्द गति पर आधारित हो अर्थात निबंध ऐसा लिखना चाहिए कि लेखक का चिंतन, वैचारिक स्तर, विषय पर उसकी स्वयं की विचारधारा स्पष्ट हो जानी चाहिए।
इसके अतिरिक्त लेखक को नदी की धारा के समान बहना चाहिए, किसी अन्य के मत से प्रभावित हुए बिना। यह अत्यन्त आवश्यक है कि लेखक का व्यक्तिगत परिचय या स्वार्थ विषय-वस्तु को प्रभावित न करे।
ज़रूरी नहीं कि आप जो भी लिखें वो सभी को स्वीकार्य हो, ज़रूरी ये है कि आप निष्पक्ष हो कर लिखें क्योंकि निष्पक्षता ही किसी निबंध की प्रथम और अंतिम कसौटी है।