वंचित होना बाल्य जीवन की उ
द्दीपन दिशाओं की न्यूनता है यह कथन है
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Answer:
मस्तिष्क का विकास
परिचय
तंत्रिका कोशीय (न्यूरोन्स) का विकास
प्रमस्तिष्क – कार्टेक्स का विकास
कार्टेक्स का पर्श्वीकरण
पर्श्वीकरण का विकास
मस्तिष्क वृद्धि प्रवेग एवं विकास की संवेदनशील आवधि
परिचय
मानव मस्तिष्क अनके जटिल संरचनाओं से युक्त महत्वपूर्ण अंग है| जन्म के समय ही अन्य अंगों की तूलना में अधिक परिपक्व हो चुका होता है| मस्तिष्क के विकास संबंधी जानकारियों में दो बिंदूओं को प्रमुखता दी गयी है| प्रथम, अतिसूक्ष्म मस्तिष्क कोशिकाएं, द्वितीय, प्रमस्तिष्क कार्टेक्स – मस्तिष्क की वे जटिल संरचनाएं जो बौद्धिक क्षमताओं की विकास के लिए जिम्मेदार हैं| इन दोनों की व्याख्या आवश्यक है|
तंत्रिका कोशीय (न्यूरोन्स) का विकास
मानव मस्तिष्क में 100 से 200 बिलियन तंत्रिका कोश पाये जाते हैं| इनमें सूचनाएं संरक्षित तथा स्थानातंरित होती रहती हैं| कुछ तंत्रिका कोष सहस्त्रों तंत्रिका कोशों से संबंध होते हैं | ये शरीर की अन्य कोशिकाओं से भिन्न होते हैं| इनमें परस्पर संधि स्थल होती है| फलत: एक साथ होने पर भी आपस में स्पर्श नहीं हो पाता| तंत्रिका कोष से एक द्रव निकलता है जिससे सूचनाएं रिक्तता की पार एक कोश से दुसरे कोश तक सम्प्रेषित होती है|
तंत्रिका कोशों का सम्प्रेष्ण व्यवस्था का निर्माण मस्तिष्क विकास के स्वरूप में निहित होता है, प्रत्येक तंत्रिका कोश के तीन विकासात्मक चरण होते हैं; (1) कोशिका उत्पादन (2) कोशिका प्रवर्जन एवं (3) कोशिका विभाजन (नोवोकोस्की 1987)| जैसे कि पूर्व वर्णित है, भ्रूण के स्नायविक ट्यूब से तांत्रिक कोष उत्पन्न होते हैं एवं द्वितीय त्रैमासिक अथार्त 6 माह के गर्भस्थ शिशु में यह प्रक्रिया पूर्णत: संपन्न हो जाती है|
इसके बाद इनकी विभेदन प्रक्रिया प्रारंभ होती है, अथार्त निकटस्थ कोशिकाओं से संबंध होकर विशिष्ट प्रक्रियायें सम्पादित होती हैं| संधि स्थल की निर्माण प्रक्रिया में अनेक कोशिकाओं की क्षय जो जाती है| मस्तिष्क के किसी हिस्से के विकास की उत्कृष्ट आवधि में अवधि में कोशिकाओं का निर्माण करते हैं, इसलिए कोशिका मृत्यु के बावजूद तंत्रिका कोशिकाएं पर्याप्त पायी जाती हैं (सूमी, 1982)|
प्रत्येक तंत्रिका कोश की दिशा और स्थान स्पष्ट होता है| इनमें फाइबर्स का विस्तार होता है, इनका निर्धारण अनुवांशिक रूप से होता है| इनसे तंत्रिका कोश संयोजित हो जाते हैं| उद्दीपन एक नये कारक रूप में प्रमुख हो जाता है| ये परिवेशीय उद्दीपनों से उद्दीप्त होकर नयी संधिस्थल का निर्माण करते हैं जो कभी मृत नहीं होते| अत: संधिस्थल निर्माण की उत्कृष्टतम अवधि में बच्चे के लिए पर्याप्त उद्दीपन बहूत ही महत्त्वपूर्ण होता है (ग्रीनाध एवं अन्य, 1987)| तंत्रिका फाइबर की वृद्धि से मस्तिष्क के बार में भी वृद्धि होती है| मस्तिष्क का करीब आधा भाग ग्लेल कोशिकाओं से निर्मित होता है| ये सूचनाओं का संवहन तो नहीं करती परंतु मिलिनाइजेशन की प्रक्रिया के लिए आवश्यक है| इस प्रक्रिया में स्नायविक फाइबर मिलीं से ढका होता है| यह सूचना प्रक्रमणको सक्षम बनाता है| गर्भकाल के चौथे माह से जन्म के दो वर्ष तक, ये कोशिकाएं विकसित होती रहती है (स्प्रिन एवं अन्य, 1984)| मिलिनाइजेशन प्रक्रिया मस्तिष्क के पूर्ण विकास में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती है शैशवावस्था के अंत तक 90/100 वृद्धि (लगभग) संपन्न हो जाती है|