वाच्य की परिभाषा देते हुए उसके भेदों का उदाहरण सहित उल्लेख कीजिए
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वाच्य की परिभाषा (Definition of Voice)
क्रिया के जिस रूपांतर से यह ज्ञात/बोध हो कि क्रिया द्वारा किये गये विधान का मुख्य बिंदु/विषय कर्ता है, या कर्म उसे वाच्य कहते है।
सरल शब्दों में —क्रिया के जिस रूप से यह पता चलें कि किसी वाक्य में कर्ता कर्म या भाव में किसी एक की प्रधानता है, उसे वाच्य कहते है।
दूसरे शब्दों में—जिस क्रिया के द्वारा हमें यह पता चलता है कि वाक्य क्रिया को मुख्य या मूल रूप से चलाने वाला कौन है। अर्थात कर्म,कर्ता भाव,या कोई अन्य घटक है। उसे वाच्य कहते है।
जैसे —
रंजन पुस्तक बेच रहा था।
(क). पुस्तक बेची जा रही थी । (ख). वह पुस्तक बहुत बिक रही थी
हमसे यहॉं नहीं बैठा जाता ।
वाक्य 1 में— बेच रहा था- क्रियापद रंजन के बारे में बता रहा है। रंजन कर्ता है और क्रिया पद उसी के बारें में कुछ विधान कर रहा है। अत: पूरा वाक्य कर्तृवाच्य है।
वाक्य 2 में— बेची जा रही थी क्रिया पद का उददेश्य बेचने वाले व्यक्ति के बसरे में बताना नहीं है। बल्कि पुस्तक के बारें में बताना है। यहॉं पुस्तक कर्म है। इसलिए सम्पूर्ण वाक्य में है। इसी प्रकार वाक्य ख में भी कर्मवाच्य है।
वाक्य 3 में — बैठा जाता क्रिया के साथ कर्म सम्भव नहीं है। और न ही कर्ता पर बल है। इसमें क्रिया का भाव ही मुख्य है। इसलिए यह वाक्य भाव वाच्य है।
इस प्रकार उस रूप रचना को वाच्य कहते है जिससे यह पता चलें कि क्रिया को मूल रूप से चलाने वाला कर्ता है,कर्म है।, या अन्य कोई घटक।
इनमें इन्ही के अनुसार क्रिया के पुरुष, वचन आदि आए हैं।
इन परिभाषाओं के अनुसार वाक्य में क्रिया के लिंग, वचन चाहे तो कर्ता के अनुसार होंगे अथवा कर्म के अनुसार अथवा भाव के अनुसार।
वाच्य का अर्थ(Meaning of Voice)
वाच्य का अर्थ है— वाणी या कथन,,, यहॉं वाणी का अर्थ— वक्ता की वाणी या वक्ता का कथन है।
वस्तुत: वाच्य किसी एक बात को थोडे से अर्थ के अंतर के साथ कहने का तरीका है। इस तरह कहे गए वाक्यों कथनों की सरंचना भिन्न हो जाती है।
उदहारण के लिए
मॉं ने खाना बनाया
मॉं के द्वारा खाना बनाया गया।
यद्यपि दोनो वाक्यों का अर्थ समान्य तो लग ही रहा है किंतु दोनों के अर्थ में सूक्ष्म अंतर है। दोनों की सरंचना भी भिन्न है। कर्ता द्वारा मॉं के कार्य खाना बनाना को प्रधानता दी गई है।
जबकि वाक्य 2—- में कर्ता के कार्य को नकारने या निरस्त करने का कार्य किया गया है, कार्य को निरस्त करने का अर्थ है,
जहॉं वाक्य 1—- में कर्ता क्रिया को करने में सक्रिय रूप से भाग लेता है। है। , वही वाक्य 2 में उसकी भूमिका निष्क्रिय हो जाती है।
इन सभी कार्यों से क्रिया के मूल रूप की सरंचना का पता चलता है कि कौन कर्ता है। क्रिया क्या है। भाव कौन सा है। वही वाच्य कहलाता है।
इसके अन्य उदहारण है।
वर्ग---1वर्ग---2वर्ग---31.मजदूर ने पेड काटामजदूर के द्वारा /से पेड काटा गयापेड काटा गया 2.बच्चे ने चित्र बनायाबच्चे के द्वारा/से चित्र बनाया गयाचित्र बनाया गया3.किसान हल चला रहा है।किसान के द्वारा/से हल चलाया जा रहा है।हल चलाया जा रहा है।
वाच्य में क्रिया के तीनों मूल रूप की सरंचना की प्रधानता का होना आवश्यक है
कर्ता
कर्म
भाव
जैसे –
राम क्रिकेट खेलता है।————– (क्रिया कर्ता के अनुसार)
राम द्वारा क्रिकेट खेला जाता है।——- (क्रिया कर्म के अनुसार)
राम से क्रिकेट खेला जाता है।———(क्रिया भाव के अनुसार)
वाच्य के भेद
हिंदी में मख्य रूप से दो ही वाच्य है।
कर्तृवाच्य (Active Voice)
अकर्तृवाच्य(Passive Voice)
(1) कर्तृवाच्य (Active Voice) जिन वाक्यों में वक्ता, कर्ता के कार्य की प्रधानता या महत्त्व देता है। वे
कृर्तवाच्य कहलाते है।
सरल शब्दों में—क्रिया के उस रूपान्तरण को कृर्तवाच्य कहते है। जिससे वाक्य में कर्ता की प्रधानता का बोध होता है। कृर्तवाच्य में क्रिया के लिंग, वचन आदि कर्ता के समान होते है
जैसे
राम ने दूध पीया।
सीता गाती है।
मैं स्कूल गया ।
सचिन सो रहा है।
मैंने शरबत पी लिया है।
राधा पुस्तक पढ़ रही है।
इस प्रकार के वाक्यों में अकर्मक सकर्मक दोनों प्रकार की क्रियॉंए हो सकती है। इनमें कर्ता प्रमुख होता है।
और कर्म गौण होता है।
पिताजी आ रहें है। ——————(अकर्मक)
बच्चा रो रहा है। ———————(अकर्मक)
माताजी सो रही है। ——————(अकर्मक)
मजदूर काम कर रहें है।————–(अकर्मक)
गरिमा पुस्तक पढ़ रही है। ———–(सकर्मक)
मैं खाना खाता हूॅं।———————-(सकर्मक)
डाकिया डाक विकरित करता है।—- (सकर्मक)
निर्मला कंप्यूटर ठीक करती है।——–(सकर्मक)
ध्यान रखिए
कर्ता के कार्य की प्रधानता दिए जाने का का अर्थ बिल्कुल भी नहीं है कि कर्तृवाच्य के वाक्य की क्रिया कर्ता की संज्ञा के अनुसार ही बदलेगी।
कर्तृवाच्य के वाक्यों में क्रिया कर्ता के अनुसार उसी समय तक बदलती है। जब कर्ता के बाद कोई परसर्ग नहीं लगा होता है।
यदि वाक्य में कर्ता के बाद परसर्ग आ रहा है तो क्रिया वाक्य की दूसरी संज्ञा केअनुसार बदलती है।
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Explanation:
वाच्य– वाच्य का अर्थ है 'बोलने का विषय। ' क्रिया के जिस रूप से यह ज्ञात हो कि उसके द्वारा किए गए विधान का विषय कर्ता है, कर्म है या भाव है, उसे वाच्य कहते हैं। दूसरे शब्दों में क्रिया के जिस रूप से यह ज्ञात हो कि उसके प्रयोग का आधार कर्ता, कर्म या भाव है, उसे वाच्य कहते हैं।