वाच्य और उसके भेद पर आधारित अभ्यास कायृ
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- वाच्य (Voice) – क्रिया के जिस रूप से उसके, कर्ता, कर्म या भाव के अनुसार होने का बोध होता है, उसे वाच्य कहते हैं! ... कर्मवाच्य की क्रियाओं का पुरुष, लिंग और वचन कर्म के अनुसार होता है; जैसे – हलवाई से मिठाइयाँ बनाई गई, चंद्रधर से स्कूटर ठीक किया गया! इस प्रकार के वाक्य में कर्ता के बाद 'से' अथवा 'द्वारा' का प्रयोग होता है!
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वाच्य- वाच्य का अर्थ है ‘बोलने का विषय।’
क्रिया के जिस रूप से यह ज्ञात हो कि उसके द्वारा किए गए विधान का विषय कर्ता है, कर्म है या भाव है, उसे वाच्य कहते हैं।
वाच्य के भेद-हिंदी में वाच्य के तीन भेद माने जाते हैं –
. कर्तवाच्य- जिस वाक्य में कर्ता की प्रमुखता होती है अर्थात क्रिया का प्रयोग कर्ता के लिंग, वचन, कारक के अनुसार होता है और इसका सीधा संबंध कर्ता से होता है तब कर्तृवाच्य होता है।
कर्मवाच्य-जिस वाक्य में कर्म की प्रधानता होती है तथा क्रिया का प्रयोग कर्म के लिंग, वचन और पुरुष के अनुसार होता है और कर्ता की स्थिति में स्वयं कर्म होता है, वहाँ कर्मवाच्य होता है।
भाववाच्य – इस वाच्य में कर्ता अथवा कर्म की नहीं बल्कि भाव अर्थात् क्रिया के अर्थ की प्रधानता होती है;
Dhanyavaad..
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