French, asked by anilyadav9931902763, 8 months ago

।.वाच्यपरिवर्तनं कुरुत :-
(क) मया पत्रं लिखितम्।
(ग) रामः पाठं पठितवान्।
(ख) अहं फलं खादितवान्।
(घ) त्वं कथां लिखितवान्।​

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Answered by msjayasuriya4
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Answer:

CBSE Class 11 Sanskrit सामान्य-वाच्य परिवर्तनम्

August 26, 2019 by Sastry CBSE

CBSE Class 11 Sanskrit सामान्य-वाच्य परिवर्तनम्

परिभाषा तथा भेद

संस्कृत वाक्य में क्रिया द्वारा जो कहा जाता है, वही क्रिया का वाच्य होता है। संस्कृत भाषा में तीन वाच्य होते हैं(1) कर्तृवाच्य (2) कर्मवाच्य (3) भाववाच्य।

1. कर्तृवाच्य

कर्तवाच्य में क्रिया द्वारा प्रधान रूप से कर्ता वाच्य होता है तथा कर्ता और क्रिया का पुरुष और वचन समान होते हैं। अकर्मक तथा सकर्मक सभी धातुओं के दसों गणों में, दसों लकारों के रूप कर्तृवाच्य में होते हैं। अकर्मक क्रिया के होने पर कर्ता में प्रथमा विभक्ति होती है। जैसे-रामः हसति (अकर्मक), रामः पुस्तकं पठति (सकर्मक), छात्रा हसन्ति (बहुवचन), यूयं ग्रामं गच्छथ (मध्यम पुरुष, बहुवचन), आवाम् याचावः (उत्तम पुरुष, द्विवचन), बालिका लज्जते (प्रथम पुरुष, एकवचन) इत्यादि वाक्यों में प्रयुक्त क्रियाओं के पुरुष और वचन कर्ता के अनुसार हैं। कर्ता में सब जगह प्रथमा विभक्ति तथा कर्म में द्वितीया विभक्ति का प्रयोग हुआ है। अतः इन क्रियाओं को कर्तृवाच्य की क्रिया कहते हैं।

2. कर्मवाच्य

कर्मवाच्य में क्रिया द्वारा प्रधान रूप से कर्म ही वाच्य होता है। यहाँ वाक्य में कर्म में प्रथमा विभक्ति का प्रयोग होता है, कर्ता में तृतीया विभक्ति होती है तथा क्रिया का पुरुष और वचन कर्म के अनुसार होता है। यह वाच्य केवल सकर्मक धातुओं का ही होता है। जैसे-बालकेन पुस्तकं पठ्यते, छात्रेण वृक्षाः दृश्यन्ते, युष्माभिः वयं ताड्यामहे, पशुना पक्षिणौ दृश्येते इत्यादि वाक्यों में बालकेन, छात्रेण, युष्माभिः तथा पशुना आदि कर्ताओं में तृतीया विभक्ति है। पुस्तकं, वृक्षाः, वयं, पक्षिणौ आदि कर्म में प्रथमा विभक्ति है तथा इन्हीं के अनुसार पठ्यते, दृश्यन्ते, ताड्यामहे तथा दृष्येते आदि क्रियाओं में पुरुष और वचन का प्रयोग हुआ है। कर्मवाच्य की क्रियाओं में क्रिया का रूप आत्मनेपद में चलता है। लट्, लोट्, लङ् और विधिलिङ् में धातु के बाद ‘य’ लग जाता है तथा शेष लकारों में बिना ‘य’ के रूप चलता है।

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