वाचन कौशल को बढ़ावा देना चाहिए साष्ट कीजिागा
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भाषा कौशल की परिभाषा :-
भाषा कौशल का तात्पर्य है कि - कि व्यक्ति या बालक द्वारा अपने विचारो की अभिव्यक्ति को सही एवं सटीक ढ़ग से किसी भी स्थिति मे दूसरों के बीच संम्प्रेषित करना।
भाषा शिक्षण के प्रमुख कौशल :-
भाषा कौशल को चार भागों में विभाजित किया गया है।
1)श्रवण कौशल
2)वाचिक कौशल
3)पठन कौशल
4)लेखन कौशल
5)भाषा कौशल की गतिविधियाँ
श्रवण कौशल :-(सुनकर भाषा का विकास)
श्रवण कौशल विकर्षण का प्रमुख उद्देश्य श्रुत सामाग्री के बिषय के महत्त्वपूर्ण एवं मर्मस्पर्शी विचारों, भावों एवं तथ्यों का चयन करने की क्षमता प्रदान करना है।
बालक सुनकर ध्वनियों के सुक्ष्म अन्तर को समझ पाता है। सुनने के कौशल में निपुण बालक का वाचन कौशल भी बेहतर होता है।श्रवण कौशल छात्रों की मौलिकता मे वृद्धि के लिए सहायक होता है। सुनने से बालकों का मानसिक एवं बौद्धिक विकास होता है।
सस्वर वाचन, प्रश्नोत्तर विधि,श्रुतलेख विधि आदि श्रवण कौशल शिक्षण की प्रमुख विधियां हैं।
वाचिक कौशल :-
बोलना अर्थात मौखिक भाषा अभिव्यक्ति का सहज, सरल एवं सर्वोत्तम माध्यम है तथा भाषा की शिक्षा मौखिक भाषा से प्रारंभ होती हो। बोलने से भाषा का उच्चारण शुद्ध व परिमार्जित होता है। परस्पर वार्तालाप तथा लोकोक्तियों व मुहावरे का प्रयोग छात्रों के वाचिक कौशल का विकास करने में महत्त्वपूर्ण योगदान देते हैं।जिससे छात्र विषयानुकूल व प्रसंगानुकुल शैली का प्रयोग बेहतर करना सीख जाता है।
वाचिक कौशल में निपुण छात्र स्वाभाविकता, स्पष्टता, शुद्धता, बोधगम्य, मधुरता, प्रवाहमय, आदि कुशलता के साथ अपने भावो व विचारों को दूसरों के समक्ष रखता है।
पठन कौशल :-
सभी विषयों का ज्ञानार्जन पठन कौशल पर आधारित होती है। छात्र अपने श्रवण कौशल व वाचिक कौशल के द्वारा अपने पठन कौशल का विकास करता है। पठन दो प्रकार से किये जाते हैं।
1)सस्वर पठन
2)मौन पठन
Answer:
शब्दों को आवाज़ से समझना (वर्ण/ध्वनि के ज्ञान का उपयोग करना)
कहानी या किसी भी संबंधित चित्र का सन्दर्भ लेकर शब्दों का अनुमान लगाना
किसी परिचित वाक्यांश के कारण अनुमान लगाना कि अगला शब्द कौन-सा होगा
एक बार में एक शब्द पढ़ना
संबंधित पाठ और वाक्यांश पढ़ना
प्रत्येक शब्द की ओर संकेत करना
स्मृति के आधार पर पढ़ना