Hindi, asked by sijupgeorge29, 8 hours ago

वोढुम् में प्रत्यय है ।


ल्यप

तुमुन्

क्तवा

अनियर

Answers

Answered by bansodeajit100
0

किसी भी धात या शब्‍द

ु के पश्‍चात ज् ड़ने वाल ु े शब्‍दां

शों को प्रत्‍यय कहा

जाता है।

• धातओु में ज ं ड़ने ु वाले प्रत्‍ययों को कृत प्रत्

् ‍यय कहते हैं। ये प्रत्‍यय तिङ्

प्रत्‍ययों से भिन्‍न होते हैं।

• सं

ज्ञा शब्‍दों में जड़ने वाले प्रत् ु ‍ययों को तद्धित प्रत्‍यय कहते हैं।

• पलँ

ु्लिङ्ग से स्‍त्रीलिङ्ग बनाने के लिए शब्‍दों में प्रयक्ु‍त होने वाले

प्रत्‍ययों को स्‍त्री प्रत्‍यय कहते हैं।

1. कृत प्रत्‍य ् य

जिन प्रत्‍ययों को धातओु में जोड़ ं कर सं

ज्ञा, विशेषण या अव्‍यय आदि पद बनाए

जाते हैं उन्‍हें कृत प्रत्

् ‍यय कहते हैं।

i) अव्‍यय बनाने के लिए धातओु में ' ं क्त्‍वा', 'ल्‍यप', 'त ् मुनु' प्रत्

् ‍ययों का योग

किया जाता है।

ii) धात से

ु विशेषण बनाने के लिए 'शत', 'शान ृ च', 'तव् ् ‍यत', 'अनीयर ् ', 'यत ् '

आदि प्रत्‍ययों का योग किया जाता है।

iii) भतूकालिक क्रिया के प्रयोग के ि‍लए 'क्‍त', 'क्तवत' एव ु ं

'करना चाहिए'—

इस अर्थ के लिए क्रिया के वाचक 'तव्‍यत', 'अनीयर ् ' और 'यत ् '

्प्रत्‍ययों

का प्रयोग करते हैं।

iv) धात से स ु ं

ज्ञा बनाने हेत 'तु चृ ', ' ् क्तिन', 'ण ् ्‍वुल्‍वु', ' ् ल्‍युटल्‍यु्' आद‍ि प्रत्‍ययों का

योग किया जाता है।

कतिपय प्रमख

ु कृत प्रत्

् ‍ययों का परिचय यहाँ दिया जा रहा है—

प्रत्‍यय

अष्‍टम अध्‍याय

Chapter 8.indd 61 03-Apr-19 11:01:38 AM

Answered by rishithreddynelaturi
0

Answer:

किसी भी धात या शब्‍द

ु के पश्‍चात ज् ड़ने वाल ु े शब्‍दां

शों को प्रत्‍यय कहा

जाता है।

• धातओु में ज ं ड़ने ु वाले प्रत्‍ययों को कृत प्रत्

् ‍यय कहते हैं। ये प्रत्‍यय तिङ्

प्रत्‍ययों से भिन्‍न होते हैं।

• सं

ज्ञा शब्‍दों में जड़ने वाले प्रत् ु ‍ययों को तद्धित प्रत्‍यय कहते हैं।

• पलँ

ु्लिङ्ग से स्‍त्रीलिङ्ग बनाने के लिए शब्‍दों में प्रयक्ु‍त होने वाले

प्रत्‍ययों को स्‍त्री प्रत्‍यय कहते हैं।

1. कृत प्रत्‍य ् य

जिन प्रत्‍ययों को धातओु में जोड़ ं कर सं

ज्ञा, विशेषण या अव्‍यय आदि पद बनाए

जाते हैं उन्‍हें कृत प्रत्

् ‍यय कहते हैं।

i) अव्‍यय बनाने के लिए धातओु में ' ं क्त्‍वा', 'ल्‍यप', 'त ् मुनु' प्रत्

् ‍ययों का योग

किया जाता है।

ii) धात से

ु विशेषण बनाने के लिए 'शत', 'शान ृ च', 'तव् ् ‍यत', 'अनीयर ् ', 'यत ् '

आदि प्रत्‍ययों का योग किया जाता है।

iii) भतूकालिक क्रिया के प्रयोग के ि‍लए 'क्‍त', 'क्तवत' एव ु ं

'करना चाहिए'—

इस अर्थ के लिए क्रिया के वाचक 'तव्‍यत', 'अनीयर ् ' और 'यत ् '

्प्रत्‍ययों

का प्रयोग करते हैं।

iv) धात से स ु ं

ज्ञा बनाने हेत 'तु चृ ', ' ् क्तिन', 'ण ् ्‍वुल्‍वु', ' ् ल्‍युटल्‍यु्' आद‍ि प्रत्‍ययों का

योग किया जाता है।

कतिपय प्रमख

ु कृत प्रत्

् ‍ययों का परिचय यहाँ दिया जा रहा है—

प्रत्‍यय

अष्‍टम अध्‍याय

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