विढ्यार्थी इस शब्द का पद मे प्रयोग किजिए
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वाक्य में प्रयुक्त होने पर शब्द, पद बन जाता है।
व्याकरण में पद दो प्रकार के होते हैं विकारी और अविकारी।
विकारी शब्द: ऐसे शब्द जो लिंग, वचन ,कारक , काल आदि के कारण परिवर्तित हो जाते हैं अर्थात लिंग , वचन ,कारक , काल आदि के कारण जिनका रूप बदल जाता है, विकारी शब्द कहलाते हैं। संज्ञा, सर्वनाम ,विशेषण और क्रिया ये चारों विकारी शब्द है।
अविकारी शब्द: ऐसे शब्द जिस पर लिंग, वचन ,कारक, वाच्य, काल आदि का कोई प्रभाव नहीं पड़ता अर्थात जिसका रूप हर स्थिति में एक सा रहता है अविकारी शब्द कहलाते हैं।
क्रिया विशेषण ,समुच्चयबोधक , संबंधबोधक, विस्मयबोधक तथा निपात यह पांच प्रकार के शब्द अविकारी कहलाते हैं।
क) छात्र- जातिवाचक संज्ञा एकवचन पुलिंग।
ख) वे- सार्वनामिक विशेषण, स्त्रीलिंग ,बहुवचन।
ग) रंग बिरंगे - गुणवाचक विशेषण बहुवचन पुल्लिंग।
घ) वहां - स्थानवाचक क्रिया विशेषण’ बैठा है ‘क्रिया का स्थान निर्देश।
हम अपना परिचय देते हैं, ठीक उसी प्रकार एक वाक्य में जितने शब्द होते हैं, उनका भी परिचय हुआ करता है। वाक्य में जो शब्द होते हैं,उन्हें ‘पद’ कहते हैं। उन पदों का परिचय देना ‘पद परिचय’ कहलाता है।
मेरा नाम इब्राहिम खान है।
* मैं हकीमपेट में रहता हूँ।
* मैं केंद्रिय विद्यालय का शिक्षक हूँ।
* मुझे व्याकरण पढ़ाना अच्छा लगता है
इस प्रकार अपने बारे में बताने को परिचय देना कहते हैं। जैसे हम अपना परिचय देते हैं, ठीक उसी प्रकार एक वाक्य में जितने शब्द होते हैं, उनका भी परिचय हुआ करता है।वाक्य में जो शब्द होते हैं,उन्हें ‘पद’ कहते हैं।उन पदों का परिचय देना ‘पद परिचय’ कहलाता है।
पद परिचय में किसी पद का पूर्ण व्याकरणिक परिचय दिया जाता है। व्याकरणिक परिचय से तात्पर्य है– वाक्य में उस पद की स्थिति बताना , उसका लिंग , वचन , कारक तथा अन्य पदों के साथ संबंध बताना।