वाह जी वाह हमको बुध की नीरज समझा है हम समझते ही नहीं जैसे कि आपको बीमार है आप घर पर है तो घटते ही चले जाते हैं और बढ़ते हैं तो बस यानी कि बढ़ते ही चले जाते हैं दम नहीं लेते हैं जब तक बिल्कुल ही बोलना हो जाए iska vyakhya
batao
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sorry I can't understand Ur language
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