व्हाट आर जेंडर स्टीरियोटाइप एंड हाउ थे इनफ्लुएंस द सोसाइटी
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Explanation:
(6 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट ने समलैंगिकता को अपराध की श्रेणी से हटा दिया है. फिट हिन्दी बच्चों पर लिंग भेद-भाव के खराब प्रभावों पर लिखे इस लेख को फिर से प्रकाशित कर रहा है.)
मैं तीन साल की बच्ची की मां हूं और यह देख कर दंग हूं कि मीडिया और समाज के जरिए हमारे बच्चों पर किस तरह लैंगिक भेद करने वाली सूचनाएं थोपी जा रही हैं, और उनके लिए पहचान, अभिव्यक्ति और आकांक्षाओं के तंग दायरे तय किए जा रहे हैं.
काफी छोटी उम्र से ही हमारे बच्चों का सीमित और तंग नजरिये से सामना हो रहा है, जिसमें उन्हें बताया जा रहा है कि लड़का होने का क्या मतलब है और लड़की होने का क्या मतलब है.
जरा सुपर हीरो कल्चर के बारे में विचार कीजिए, जिसमें लड़कों के लिए आक्रामकता और प्रभुत्व को आदर्श बताया जा रहा है जबकि भावुकता को खारिज किया जा रहा है. या राजकुमारी की कहानी के बारे में सोचिए, जिसमें बताया जा रहा है कि लड़कियों की ताकत उनके रूप और संवरने में है.
इन खड़ी की जा रही नीली और गुलाबी चारदीवारियों के बारे में सोचिए. तो इस दुनिया में कहां गड़बड़ी है?