Biology, asked by 7870436280, 1 year ago

व्हाट इज द रूल ऑफ गोलगी कंपलेक्स​

Answers

Answered by aaaa483
1

It was identified by Camillo Golgi....

FUNCTION=break down complex sugar into simpler form.....

and form lysozyme....

hope it is clear for u frnd.....

Answered by samir4934
10

Hlw friend

Here is your answer

Hope it help you..

कोशिका के कोशिकाद्रव्य में केन्द्रक के समीप कुछ थैलीनुमा कोशिकांग (organelle) पाए जाते हैं, इन्हें गॉल्जी काय या गॉल्जी बॉडी (Golgi bodies) या गॉल्जी उपकरण (Golgi apparatus) कहते हैं। कामिल्लो गॉल्जी इटली का एक तंत्रिकावैज्ञानिक था, जिसने श्वेत उलूक (Barn Owl) की तंत्रकोशिकाओं में इसका पता लगाया, जो उसके नाम से ही विख्यात है।

इसकी आकृति चपटी होती है तथा ये एक के बाद एक समानान्तर रूप में स्थिर रहे हैं। गॉल्जीबाडी का निर्माण कुछ थैलीनुमा सिस्टर्नी, कुछ छोटे-छोटे वेसिकल एवं कुछ बड़े-बड़े वैकुओल से मिलकर होता है। यह कोशिका के अन्दर स्रावित पदार्थ के संग्रह एवं परिवहन में सहायता करता है।[1]

अंडों में माइटोकॉण्ड्रिया और गॉल्जी काय अंडपीतनिर्माण में योग देते हैं। स्परमाटिड के स्परमाटोज़ोऑन में परिणत होते समय गॉल्जी काय ऐक्रोसोम बनाता है, जिसके द्वारा संसेचन में वह अंडे से जुट जाता है। माइटोकॉण्ड्रिया से स्परमाटिड का नेबेनकेर्न (Nebenkern) बनता है और जिन जंतुओं में मध्यखंड होता है उनमें मध्यखंड का एक बड़ा भाग। ग्रंथि की कोशिकाओं में स्रावी पदार्थ को उत्पन्न और परिपक्व करने में माइटोकॉण्ड्रिया और गॉल्जी काय सम्मिलित हैं।

इलेक्ट्रान सूक्ष्मदर्शी से फोटो लेने पर पता चलता है कि प्रत्येक माइटोकॉण्ड्रिया बाहर से एक दोहरी झिल्ली से घिरा होता है और उसके भीतर कई झिल्लियाँ होती हैं जो एक ओर से दूसरी ओर तक पहुँचती हैं या अधूरी ही रह जाती हैं। गॉल्जी काय में कुछ धानियाँ (Vacuoles) होती हैं, जो झिल्लीमय लैमेला (membranous lamellae) से कुछ कुछ घिरी होती हैं। इनसे संबंधित कुछ कणिकाएँ भी होती हैं जो लगभग 400 आं0 के माप की होती हैं। ये सब झिल्लियाँ इलेक्ट्रान सघन होती हैं। कोशिकाद्रव्य स्वयं ही झिल्लियों के तंत्र का बना होता है, परंतु इसमें संदेह नहीं कि इन झिल्लियों के माइटोकॉण्ड्रीय झिल्लियों और गॉल्जी झिल्लियों में कोई विशेष संबंध नहीं होता। ऐसी कोशिकाद्रव्यीय झिल्लियाँ ग्रंथि की कोशिकाओं में अधिक ध्यानाकर्षी अवस्था में पाई जाती हैं। ये अरगैस्टोप्लाज्म कही जाती हैं। ये झिल्लियाँ दोहरी होती हैं और इनपर जगह जगह छोटी छोटी कणिकाएँ सटी होती हैं।

कुछ विद्वानों की यह भी धारणा है कि गॉल्जी काय कोई विशेष कोशिकांग (Organelle) नहीं है। यह माइटोकॉण्ड्रिया का ही एक विशेष रूप है अथवा केवल धानी के रूपपरिवर्तन से बनता है अथवा केवल एक कृत्रिम द्रव्य है, इस संबंध में विद्वानों में अब भी मतभेद है। Goli apertura of fugtion Golgi apertura me CELLsecretion.

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