व्हाट इज यूज टू ट्रीटमेंट ऑफ सीवेज
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Answer:
Sewage treatment plants are used for sewage treating.
The solid particles like plastics, cans, papers, blocks etc are removed first.
Then the smaller wastes like dungs, scavenged are removed.
And at last chlorine tablets are used to purify the water before disposing it off too other water bodies.
hope this helps you :)
Answer:प्राथमिक उपचार :-
प्राथमिक उपचार के दौरान कुछ भौतिक प्रक्रियाओं के माध्यम से जल में उपस्थित अशुद्धि को दूर किया जाता है। ये प्रक्रियाएँ निम्नानुसार हैं :-
अ. छनन :-
प्राथमिक उपचार में यांत्रिक प्रक्रिया के दौरान दूषित जल को एक स्क्रीन या जाली से प्रवाहित किया जाता है, जिससे कुछ बड़े आकार के निलम्बित पदार्थ जैसे- बड़े आकार के रेशे, पत्थर एवं अन्य निलम्बित कण पृथक हो जाते हैं।
इस तरह छनन की प्रक्रिया से लगभग 60 प्रतिशत निलम्बित कण पृथक हो जाते हैं।
.ब. सेडीमेंटेशन :-
छनन के उपरान्त दूषित जल को एक बड़े टैंक में सेडीमेंटेशन के लिये रखा जाता है। जिसमें लगभग पाँच मीटर गहरे बड़े टैंक में दूषित जल को स्थिर छोड़ दिया जाता है। दूषित जल में उपस्थित भारी कण गुरुत्वाकर्षण के कारण नीचे बैठ जाते हैं तथा ऊपर का अपेक्षाकृत साफ जल आगे उपचार हेतु ले जाया जाता है। इस टैंक में दूषित जल को कम-से-कम 2-6 घण्टे तक रखा जाता है। दूषित जल में उपस्थित सूक्ष्म कणों अथवा कोलायडल कणों को पृथक करने हेतु इस जल में कुछ कोगुलेंट भी मिलाया जाता है ताकि अशुद्धियाँ आसानी से पृथक हो जाएँ।
स. फ्लोटेशन :-
ऐसा दूषित जल जिसमें निलम्बित कणों का घनत्व जल से कम या जल के लगभग बराबर होता है, उन्हें सेडीमेंटेशन के माध्यम से पृथक नहीं किया जा सकता, इस हेतु फ्लोटेशन की प्रक्रिया अपनायी जाती है। इस प्रक्रिया में दूषित जल को एयरेट कर अथवा अच्छी तरह हिलाकर कुछ देर के लिये छोड़ दिया जाता है। जिससे ठोस कण जल की ऊपरी सतह पर आ जाते हैं, जहाँ से इन्हें पृथक कर लिया जाता है।
2. द्वितीय उपचार
कार्बनिक पदार्थ युक्त औद्योगिक दूषित जल के उपचार हेतु जल का द्वितीयक उपचार किया जाता है। इसमें जैविक रूप से अपघटित होने वाले कार्बनिक पदार्थों का सूक्ष्म जीवाणु द्वारा उपचार किया जाता है। इस तरह उपचार करने से लगभग 90 प्रतिशत कार्बनिक यौगिक आॅक्सीकरण के माध्यम से पृथक कर लिये जाते हैं। अपघटित पदार्थ द्वितीय सेटलिंग टैंक में नीचे बैठ जाते हैं। नीचे बैठे सेडीमेंट में बड़ी मात्रा में सूक्ष्म जीव होते हैं। फलत: इस सेडीमेंट का कुछ भाग पुन: द्वितीयक उपचार में काम में लाया जाता है। जैविक उपचार हेतु आॅक्सी एवं अनाॅक्सी जैविक उपचार मुख्यत: प्रचलन में है।
द्वितीयक उपचार
1. आॅक्सी उपचार
अ. आॅक्सीडेशन पौंड-
इस प्रक्रिया से उपचार में दूषित जल को एरोबिक बैक्टीरिया एवं शैवाल के माध्यम से बड़े आॅक्सीडेशन पौंड में उपचारित किया जाता है। एरोबिक बैक्टीरिया द्वारा कार्बनिक पदार्थों का अपघटन कर दिया जाता है तथा शैवाल इस अपघटित पदार्थ को भोज्य पदार्थ के रूप में ग्रहण कर समाप्त कर देते हैं। इस प्रकार दूषित जल की बीओडी कम हो जाती है। घरेलू (सीवेज) दूषित जल के उपचार हेतु यह प्रक्रिया अपनायी जाती है।
ब. एयरेटेड लैगून
इस प्रक्रिया में प्राथमिक उपचार के दौरान दूषित जल को बड़े लैगूनों में एकत्र कर विद्युत चलित एयरेटरों के माध्यम से एयरेट किया जाता है। जिसमें वायुमंडलीय आॅक्सीजन को लैगून में डाले गये दूषित जल में मिलाया जाता है। इस प्रक्रिया में लगभग 90 प्रतिशत बीओडी समाप्त की जा सकती है। कार्बनिक पदार्थों के अपघटन के पश्चात अपशिष्ट तलहटी में बैठ जाता है।
स. ट्रिकलिंग फिल्टर
ट्रिकलिंग फिल्टर में पत्थरों, रेत, पीव्हीसी आदि की सघन परत बिछाई जाती है, जिस पर दूषित जल डाला जाता है। फिल्टर माध्यम पर एरोबिक बैक्टीरिया की परत बिछाई जाती है तथा उपयुक्त माध्यम से दूषित जल में वायु प्रवाहित की जाती है। इस विधि से बैक्टीरिया कार्बनिक पदार्थों को नष्ट कर देते हैं तथा फिल्ट्रेशन बेड से अपशिष्ट का स्वाभाविक रुप से छनन हो जाता है।
द. एक्टिवेटेड स्लज विधि
एक्टिवेटेड स्लज विधि में दूषित जल में सूक्ष्म जीवाणुओं को अच्छी तरह मिलाकर एयरेट किया जाता है, जिससे सूक्ष्म जीवाणुओं की कार्बनिक पदार्थयुक्त दूषित जल में तीव्रता से वृद्धि होती है। फलस्वरूप इनकी गतिविधियाँ बढ़ जाती है और ये तेजी से कार्बनिक पदार्थों को अपघटित कर देते हैं। इस विधि से कार्बनिक पदार्थ का अपघटन तेजी से होता है एवं इससे 90-95 प्रतिशत बीओडी कम की जा सकती है।
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