Hindi, asked by shashikalapundir, 1 month ago

विहाय पौरूषं तो हि दैवमेवावलम्बते।
प्रासादसिंहवत् सत्य मूर्ध्नि तिष्ठन्ति वारसा।​

Answers

Answered by NehaNagal
3

\huge\underline\bold\blue{Answer}

विहाय पौरुषं यो हि दैवमेवावलम्बते।

प्रासादसिंहवत् तस्य मूर्ध्नि तिष्ठन्ति वायसाः॥5॥

अन्वय: -

यः पौरुषं विहाय हि दैवम् एव अवलम्बते, तस्य मूर्ध्नि प्रासादसिंहवत् वायसाः तिष्ठन्ति।।

शब्दार्थ: -

विहाय – छोड़कर।

दैवम् – भाग्य।

अवलम्बते – सहारा लेता है।

मूर्ध्नि – सिर पर।

वायसाः – कौए (Crows)।

पौरुषम् – पुरुषार्थ को (Struggle)।

प्रासाद० – महल।

एव – ही।

प्रासाद० – महल।

तिष्ठन्ति – बैठते हैं।

सरलार्थ: - जो (व्यक्ति) परिश्रम का त्याग करके भाग्य का सहारा लेता है, उसके सिर पर महल पर स्थित सिंह के समान कौए (ही) बैठा करते हैं।

Similar questions