India Languages, asked by pathaniaarun12, 10 months ago

| विहाय पौरुषं यो हि दैवमेवावलम्बते ।
। प्रासादसिंहवत् तस्य मूर्ध्नि तिष्ठन्ति वायसा: ।।5।।​

Answers

Answered by agrippa
80

Answer:

ये संस्कृत  का श्लोक है |

Explanation:

इसका अर्थ है कि जो लोग म्हणत करने की बजाय भाग्य पर निर्भर होते हैं वे लोग ऐसे सिंह की तरह हैं जो महल के बाहर बने होते हैं, और जिनके सर पर कौवे बैठते हैं. इसलिए व्यक्ति को कभाग्य पर निर्भात=रता छोड़ कर पुरुषार्थ का सहारा लेना चिहिए| भाग्य पर निर्भर वयक्ति सिर्फ दिखावा करते हैं. अतः अगर आप कार्य सिद्धि चाहते हैं तो पुरुषार्त करें, केवल भाग्य पर निर्भर न रहे.

और अधिक सीखें:

वह संस्कृत पढ़ता है। संस्कृत में अनुवाद करें​|

https://brainly.in/question/17488693

संस्कृत शब्दरूप पादप​

https://brainly.in/question/10285205

Answered by jitendra290
2

Answer:

___________( कटक ) निकषा महानदी वहति । ( उचितविभक्तिप्रयोगं कुरुत ) *

Explanation:

___________( कटक ) निकषा महानदी वहति । ( उचितविभक्तिप्रयोगं कुरुत ) *

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