विज्ञान हमारा मित्र या शत्रू पर निबंध in hindi
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आज हम जिस प्रकार का जीवन जी रहे हैं, उसमें कदम – कदम पर विज्ञान के अच्छे बुरे वरदान या अभिशाप वाले दोनों पहलुओं को दर्शन होते रहते हैं ।
हम जिस बस पर यात्रा करते हैं, वह ठीक-ठाक समयपर हमें, हमारे लक्ष्य तक पहूँचा देती है, यह विज्ञान का वरदान नहीं तो और क्या है ? लेकिन बस से निकलने वाला धुआँ पर्यावरण को दूषित कर वायुमण्डल को घोर प्रदूषित बना रहा है । क्या कहेंगे इसे ? विज्ञान का अभिशाप ही न ।
वरदान के रूप में अन्धेरी रात को दिन के उजाले में बदल देने वाली बिजली जब अचानक किसी बेचारे को छूकर उसके तन का रक्त चूस कर उसे निर्जीव कर देती है, तब वह डायन सरीखी एक भयानक अभिशाप हो तो लगाने लगती है । स्पष्ट है कि अच्छाई के साथ लगे बुराइ के पुँछल्लों की तरह विज्ञान के वरदान के साथ अभिशाप का पुछल्ला भी अवश्य लगा हुआ है ।
सत्य तो यह है कि विज्ञान की खोजों और आविष्कारों की प्रक्रिया वास्तव में मानव की भलाई के लिए ही आरम्भ हुई थी । आरम्भ से लेकर आज तक विज्ञान ने मानव-जाति को बहुत कुछ दिया है कि उसके जीवन क्रम में पूरी तरह बदलाव आ गया है ।
विज्ञान की सहायता से आज का मानव धरती तो क्या जल, वायुमण्डल, अन्तरिक्ष और अन्य ग्रहों तक का स्वतंत्र विचरण कर रहा है । वह घर पर बैठकर कहीं भी बातचीत कर सकता है । कहीं के भी दर्शन कर सकता है यहाँ तक कि खान-पान, रहन-सहन, पहनना- ओढ़ना तक वैज्ञानिक हो गया है । विज्ञान की सहायता से वह तन का रक्त जमा देने वाली ठण्ड और झुलसा देने वाली गर्मी में रह सकता है । इस सबको वरदान ही तो कहा जाएगा आधुनिक विज्ञान का ।
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