वैज्ञानिक अनुसंधान की प्रमुख चरणों की व्याख्या कीजिए।
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अनुसन्धान चक्र : वैज्ञानिक विधि के कुछ अवयव जिन्हें एक चक्र के रूप में व्यवस्थित किया गया है, जो दर्शाता है कि अनुसन्धान एक चक्रीय प्रक्रम है।
अध्ययन से दीक्षित होकर शिक्षा के क्षेत्र में कार्य करते हुए शिक्षा में या अपने शैक्षिक विषय में कुछ जोड़ने की क्रिया अनुसन्धान कहलाती है। पी-एच.डी./ डी.फिल या डी.लिट्/डी.एस-सी. जैसी शोध उपाधियाँ इसी उपलब्धि के लिए दी जाती है। इनमें अध्येता से अपने शोध से ज्ञान के कुछ नए तथ्य या आयाम उद्घाटित करने की अपेक्षा की जाती है।
'शोध' अंग्रेजी शब्द 'रिसर्च' का पर्याय है किन्तु इसका अर्थ 'पुनः खोज' नहीं है अपितु 'गहन खोज' है। इसके द्वारा हम कुछ नया आविष्कृत कर उस ज्ञान परम्परा में कुछ नए अध्याय जोड़ते हैं।
परिभाषाएँ संपादित करें
ज्ञान की किसी भी शाखा में नवीन तथ्यों की खोज के लिए सावधानीपूर्वक किए गए अन्वेषण या जांच-पड़ताल को शोध की संज्ञा दी जाती है। (एडवांस्ड लर्नर डिक्शनरी ऑफ करेंट इंग्लिश)
अनुसंधान को विभिन्न तरीकों से परिभाषित किया गया है
रैडमैन और मोरी ने अपनी पुस्तक “द रोमांस ऑफ रिसर्च” में शोध का अर्थ स्पष्ट करते हुए लिखा है कि नवीन ज्ञान की प्राप्ति के व्यवस्थित प्रयत्न को हम शोध कहते हैं।
लुण्डबर्ग ने शोध को परिभाषित करते हुए लिखा है कि अवलोकित सामग्री का संभावित वर्गीकरण, साधारणीकरण एवं सत्यापन करते हुए पर्याप्त कर्म विषयक और व्यवस्थित पद्धति है।
अनुसन्धान प्रक्रिया संपादित करें
शोध के अंग संपादित करें
ज्ञान क्षेत्र की किसी समस्या को सुलझाने की प्रेरणा
प्रासंगिक तथ्यों का संकलन
विवेकपूर्ण विश्लेषण और अध्ययन
परिणामस्वरूप निर्णय
अनुसन्धान-प्रक्रिया के चरण संपादित करें
शोध एक प्रक्रिया है जो कई चरणों से होकर गुजरती है। शोध प्रक्रिया के प्रमुख चरण ये हैं-
(१) अनुसन्धान समस्या का निर्माण
(२) समस्या से सम्बन्धित साहित्य का व्यापक सर्वेक्षण
(३) परिकल्पना (हाइपोथीसिस) का निर्माण
(४) शोध की रूपरेखा/शोध प्रारूप (रिसर्च डिज़ाइन) तैयार करना
(५) आँकड़ों एवं तथ्यों का संकलन
(६) आँकड़ो / तथ्यों का विश्लेषण और उनमें निहित सूचना/पैटर्न/रहस्य का उद्घाटन करना
(७) प्राक्कल्पना की जाँच
(८) सामान्यीकरण (जनरलाइजेशन) एवं व्याख्या
(९) शोध प्रतिवेदन (रिसर्च रिपोर्ट) तैयार करना
समस्या या प्रश्न संपादित करें
शोध करने के लिए सबसे पहले किसी समस्या या प्रश्न की आवश्यकता होती है। हमारे सामने कोई समस्या या प्रश्न होता है जिसके समाधान के लिए हम शोध की दिशा में आगे बढ़ते हैं। इसके लिए शोधार्थी में जिज्ञासा की प्रवृत्ति का होना आवश्यक है। किसी विशेष ज्ञान क्षेत्र में शोध समस्या का समाधान या जिज्ञासा की पूर्ति में किया गया कार्य उस विशेष ज्ञान क्षेत्र का विस्तार करता है। इसके साथ ही शोध से नये-नये शैक्षिक अनुशासनों का उद्भव होता है जो अपने विषय क्षेत्र की विशेषज्ञता का प्रतिनिधित्व करते हैं।