विज्ञान के बिना कुछ भी करना संभव नहीं है। आधुनिक दुनिया में, दो जगहें हैं, या अंतरिक्ष शीट, या महासागर, या महासागर, या विज्ञान की सर्वव्यापीता। अधुनीकावसपरम्पराणं द्रष्ट्वा वै गौरवान्वितम् शुभम्:। अस्माभि: प्राकृतौ प्रभुत्वम् आपि विज्ञानं मया। व्योम:, आप:, पवनचंद डेवलपर स् पि अस्माकम् अर्थवर्तिनः translate into sanskrit
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विज्ञान के पास एक सुन्दर कारण
लेखक : अज़ीज़ राय, प्रकाशन की तारीख : अप्रैल 29, 2014 | टिप्पणियाँ : 0
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विषय से थोड़ा हटकर के लिखा गया हमारा यह दूसरा लेख भी भौतिकी से सीधा सम्बन्ध रखता है। जैसा कि विषय से हटकर के हमने पहले लेख में ईश्वर से सम्बंधित विषय पर चर्चा की थी। और सर स्टीफन हॉकिंग की सन 2007 में प्रकाशित पुस्तक "द ग्राण्ड डिज़ाइन" का हवाला देते हुए, ब्रह्माण्ड के निर्माण के तरीकों को चर्चा में शामिल किया था। ठीक उसी तरह से ईश्वर को लेख का मूल विषय मानते हुए, आज हम भौतिकी की चर्चा विज्ञान को परिभाषित करते हुए करेंगे। विज्ञान को इससे कोई फ़र्क नही पड़ता कि आप ईश्वर पर विश्वास रखते हैं अथवा नही रखते हैं। परन्तु क्या विज्ञान के एक जानकार अथवा खोजकर्ता द्वारा ईश्वर पर विश्वास रखने या उसको मानने से विज्ञान में कोई प्रभाव देखने को मिल सकता है ? आज की इस चर्चा में इस विषय को भी सम्मलित करने का हमारा प्रयास रहेगा।