विज्ञान के लाभ और हानि पर अनुच्छेद लिखिए
*उपयोग
*स्वास्थ्य
*कृषि
*मनोरंजन में योगदान
* हानिया
*उपसंहार
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Answer:
भूमिका
आधुनिक युग को विज्ञान का युग कहा जाए तो यह अतिशयोक्ति नहीं होगी। विज्ञान में असीम शक्ति है। विज्ञान की अपार उपलब्ध्यिों ने जल, थल, नभ सब जगह जीवन के रूप रंग को चमत्कृत कर दिया है।
लाभ
19वीं और 20वीं शताब्दी विज्ञान का एक नया रूप देखने को मिलता है। इसने मानव-जीवन में क्रान्तिकारी परिवर्तन किया है। विज्ञान के आविष्कारों ने अलादीन के चिराग की तरह मनुष्य को असीमित सुविधाएँ एवं शक्तियाँ प्रदान की हैं। विज्ञान एक जादुई चमत्कार है। बिजली से चलित प्रकाश-साधन, पंखे, कूलर, टी.वी, फ्रिज, ऐ.सी. आदि जीवनोपयोगी वस्तुओं का निर्माण वैज्ञानिक उपकरणों द्वारा ही हुआ है। दूरदर्शन के आविष्कार से विश्व में घटी किसी भी घटना की सचित्र आवाज़ सहित उसी समय हम तक पहुँच जाती है। मनुष्य को ‘विज्ञान’ एक अद्भुत वरदान के रूप में प्राप्त हुआ है।
यातायात और विज्ञान
यातायात के साधनों से कम समय में मनुष्य को एक स्थान से दूसरे स्थान तक पहुँचा दिया जाता है। साइकिल, मोटर-साइकिल, कार, बस, रेल, मैट्रो, वायुयान, जलयान आदि बहुत लाभकारी सिद्ध हुए हैं। वहीं इंटरनेट, टेलीफ़ोन, मोबाइल आदि ने हमारे संबंधों में निकटता ला दी है। रॉकेटों, विमानों तथा जलयानों ने समय को बाँध दिया है। वैज्ञानिक चाँद तक पहुँच गए है और वहाँ भी दुनिया बसाने की योजनाएँ सफ़ल होने ही वाली हैं।
नये आविष्कार
कृषि प्रधान भारत का कृषक आज विज्ञान से बनाई और विकसित बीजों, खादों, उर्वरकों, कीटनाशकों, ट्रैक्टर, ट्यूबवैल आदि का सफल प्रयोग कर अपनी उपज बढ़ा रहा है। इस क्षेत्र में नई-नई खोजें जारी है। विज्ञान की सहायता से मनुष्य ने बड़े-बड़े पहाड़ों को काट कर सुरंगें बनाई। कृत्रिम बादलों से पानी तक बरसा लिया है। रूस ने तो विज्ञान के आविष्कारों से मौसम को भी बदल दिया है।
चिकित्सा क्षेत्र में नये आविष्कार
विज्ञान के आविष्कारों के कारण एक्सरे, रेडियम एवं विद्युत चिकित्सा द्वारा शरीर के अन्दर झाँका जा सकता है। मृत समान मानव को प्राणदान दिया जा सकता है। आज कैंसर तक का इलाज सरलता से होने लगा है। अन्धे को खोई दृष्टि मिलने लगी है, हृदय बदले जा रहे हैं, मृत्युदर घटी है, औसत आयु बढ़ी है।
“देश जो है आज उन्नत विज्ञान के आविष्कार से,
चौंका रहे हैं नित्य सबको अपने नवाविष्कार से।”
रेडियो, टी.वी. हमारे एकाकीपन का अनूठा साथी है। कम्प्यूटर, मोबाइल के आविष्कारों ने तो मानव जीवन में सुविधाओं का अम्बार ही लगा दिया है। रेल, बस, वायुमान, फ़िल्म की टिकट आदि। कोई भी नाम लीजिए उसके आरक्षण की सुविधा इन्टरनेट द्वारा सर्व सुलभ हो गई है।
विज्ञान की हानियाँ
विनाशकारी प्रभाव
विज्ञान के वरदान कीटनाशक रासायनों का प्रयोग खेती की उपज तो बढ़ा रहा है किन्तु उसके दुष्प्रभाव मानव शरीर पर कैंसर, चर्म रोग इत्यादि के रूप में आमतौर पर देखे जा सकते हैं। विज्ञान के युग में टी. वी., इंटरनेट, मोबाइल आदि ने सुविधा भोगी मानव की मानसिकता पर कुप्रभाव डाला है जिसके कारण मनुष्य को ऐसी अनेक बीमारियों ने जकड़ लिया है जिनका या तो उपचार ही संभव नहीं या फिर इतना महँगा है कि उसका घर तक धुल जाता है।
यदि विज्ञान का दुरुपयोग हुआ तो इसे अभिशाप बनने में भी समय नहीं लगेगा। उदाहरण सामने है- प्रथम और द्वितीय विश्व युद्ध में जन और धन का जितना विनाश हुआ उतना शायद सौ वर्षों में भी पूरा न हो सके। अणुबम का जो भयावह रूप हीरोशिमा और नागासाकी में सामने आया, का दृश्य आँखों के सामने आते ही दिल काँप उठता है। भोपाल गैस काँड और लुधियाना के पास दोराहा में अमोनिया गैस टैंकर से गैस के रिसने मात्र से भयंकर विनाश हुआ। बिजली जीवन में उजाला भरती है, वहीं इसके स्पर्श-मात्रा से जीवन मौत में बदल जाता है।
“घर-घर में विज्ञान का फैला आज प्रकाश
करता दोनों काम यह नव-निर्माण-विनाश।”
उपसंहार
विज्ञान का वरदान या अभिशाप होना मात्र मानव की समझ ऊपर निर्भर है। यदि वह इसका प्रयोग अपने व दूसरों के हित के लिए करे तो विज्ञान परम लाभकारी है अन्यथा विनाश के अलावा कुछ नहीं।
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