विज्ञान और मानव जीवन
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भूमिका : आज का मानव प्राचीन युग के मानव से बिलकुल अलग बन गया है। आज के युग को विज्ञान के चमत्कारों का युग माना जाता है। विज्ञान दो शब्दों से मिलकर बना है- वि+ज्ञान। जिसका अर्थ होता है किसी वस्तु का विशेष ज्ञान। आज के युग के विज्ञान की उन्नति को देखकर संसार चकित हो गया है।
विज्ञान को विवेक का द्वार माना जाता है। अपने भौतिक सुखों के लिए ही मानव विज्ञान की शरण में आया है और विज्ञान मानव के लिए कल्पवृक्ष सिद्ध हुआ है। विज्ञान के बहुत से अद्भुत आविष्कारों को देखकर मनुष्य ने दाँतों तले ऊँगली दबा ली है। विज्ञान की चकाचौंध से मनुष्य स्तब्ध रह गया है।
विज्ञान और आधुनिक जीवन : विज्ञान और जीवन का घनिष्ट संबंध होता है। विज्ञान ने ही मानव जीवन को सुखमय बनाया है। किसी विद्वान् का कहना है कि विज्ञान ने अंधों को आँखें और बहरों को सुनने के लिए कान दिए हैं। उसने जीवन को दीर्घ बनाया है और डर को कम कर दिया है। विज्ञान ने पागलपन को वश में कर लिया है और रोगों का नाश किया है। जहाँ पर मनुष्य को विज्ञान से इतने सुख मिले हैं वहीं पर दुःख भी प्राप्त हुए हैं। विज्ञान को मानव के लिए वरदान भी माना गया है और अभिशाप भी।
विज्ञान वरदान के रूप में : विज्ञान ने मनुष्य को अनेक सुख प्रदान किये हैं। जीवन के प्रत्येक क्रियाकलाप में विज्ञान का योगदान रहा है। विज्ञान ने मनुष्य की कल्पनाओं को सच कर दिखाया है। विज्ञान ने भाप, अणुशक्ति को अपने वश में करके मनुष्य के जीवन में चार-चाँद लगा दिए हैं। विज्ञान ने हेलिकोप्टर, हवाई जहाज जैसे यंत्रों का आविष्कार करके मनुष्य के सुख को चर्म सीमा तक पहुँचा दिया है।
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