विज्ञान वरदान भी अभिशाप भी विषय पर लगभग 300 शब्दों में निबंध लिखिए।
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विज्ञान : वरदान या अभिशाप
प्रस्तावना :
वर्तमान युग को वैज्ञानिक युग कहा जाता है। आज सर्वत्र ही विज्ञान का बोलबाला है। मानव जीवन का शायद ही कोई कोना हो, जहाँ विज्ञान का प्रकाश न पहुँचा हो। छोटी - छोटी आवश्यकताओं एवं कार्यों के लिए हमें विज्ञान के आविष्कारों का सहारा लेना पड़ता है। मनुष्य ने अपने बल- बुद्धि द्वारा जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में अनेक आविष्कार किए है। विज्ञान द्वारा मानव जीवन में जो सुखद परिवर्तन आए है, कुछ समय पूर्व तक उसकी कल्पना भी असंभव थी। आज मनुष्य की दिनचर्या की शुरूआत विज्ञान से होती है, तो अंत भी विज्ञान की उपलब्धि से ही होती है।
विज्ञान ने हमारे जीवन के प्रत्येक क्षेत्र को प्रभावित किया है। इसने ब्रह्माण्ड के चप्पे-चप्पे को छान लिया है। समुद्र की अतल गहराई यदि इसका एक छोर है तो दूसरा छोर अंतरिक्ष से भी ऊपर है। इसने हमारे भौतिक जीवन को तो सुखमय बनाया ही है; नवीन ज्ञान के प्रकाश से हमारे मन से अंधविश्वास के अंधकार को भी दूर कर दिया है। बैलगाड़ी के युग से राकेट युग तक हमे ले आने का श्रेय विज्ञान को ही है।
विज्ञान वरदान के रूप में :
भौतिक जीवन को सुखमय बनाने के अनेक साधन विज्ञान की मदद से ही सुलभ हुए है। विज्ञान के चलते नयी-नयी मशीनों एंव उपकरणों का आविष्कार हुआ है जिससे श्रम की बचत के साथ ही अप्रिय और मन को उबा देनेवाले कामों से भी हमें घुटकारा मिल गया है। जो काम वर्षों में होता था, वह अब चंद दिनों में समाप्त हो जाता है।
♣ कृषि क्षेत्र में
कृषि के क्षेत्र में परिर्वतन का श्रेय भी विज्ञान को ही है। हल से जो खेत महीनों में जोता जाता था वह अब ट्रैक्टर सें चंद दिनों में जोत दिया जाता है। उन्नत बीजों का विकास हुआ जिससे उपज कई गुना बढ़ गयी है। मशीनों की सहायता से बीज बोने से लेकर अनाज की कुटाई-पिसाइ तक का काम आसानी से हो जाता है। कीटनाशक दवाइयाँ और रसायन काफी मददगार साबित हो रहे है।
♣ स्वास्थ और चिकित्सा के क्षेत्र में
चिकित्सा के क्षेत्र में भी विज्ञान की उपलब्धीयाँ कम नही है। पहले हेजा, मलेरिया, चेचक जैसे रोगों से लाखों व्यकित की मृत्यु हो जाती थी , अब इन पर नियंत्रण पा लिया गया है। एक्स-रे सर्जरी जैसी न जाने कितनी चिकितत्सा- पद्धतियाँ मनुष्य के लिए अत्यतं उपयोगी वरदान सिद्धध हो रही है। महत्त्वपूर्ण अंगो जैसे :- ह्नदय, आँख, आदि के अंग- रोपन से मनुष्य को नया जीवन मिल रहा है।
♣ आवागमन के क्षेत्र में :
विज्ञान की ताकत ने मनुष्य को पृथ्वी , समुद्र, और आकाश का स्वामी बना दिया है। पृथ्वी के एक छोर से दूसरे छोर तक कुछ ही समय में पहुँचा जा सकता है। विज्ञान से मानव चंद्रमा तो क्या मंगल ग्रह तक पहुँच चुका है।
♣ दूर- संचार के क्षेत्र में
संचार की प्रगति की बदौलत घर बैठे हजारों मील दूर के लोगों से बातचीत मिनटों में हो जाती है।
♣ मनोरंजन के क्षेत्र में
टेलीविजन, इंटरनेट, रेडियो जैसे विज्ञान निर्मित मनोरंजन के अनेक साधन , दुनिया के एक छोर पर होनेवाली घटना को दूसरे छोर पर के लोग साक्षात देख-सुन सकते है।
♣ शिक्षा के क्षेत्र में
शिक्षा के क्षेत्र में भी विज्ञान की देन अनुपम है। प्रिटिंग मशीन की मदद से ज्ञान की पुस्तके उपलब्ध हो रही है।
विज्ञान अभिशाप के रूप में :
विज्ञान हमारे लिए वरदान है तो दूसरी और अभिशाप भी बनता जा रहा है। विज्ञान के विध्वंसकारी स्वरूप की कल्पना से ह्नदय कांप उठता है। विनाशकारी अस्त्र- शास्त्रों के निमार्ण में विज्ञान के दुरूपयोग के परिणाम हम दो महायुद्धों में देख चुके है। जापान के नागासाकी और हिरोशिमा दो नगरों का संहार एटम बम द्वारा चंद मिनटों में हुआ था।
प्रसिद्ध वैज्ञानिक आईन्सटीन ने कहा है कि यदि दुभार्गय से तृतीय विश्वयुद्ध हुआ तो मानव समाज का सर्वनाश हो जायगा। औद्योगिक विकास का श्रेय अवश्य विज्ञान है किन्तु पर्यावरण के प्रदूषण का दोषी भी विज्ञान ही है। सुख-सुविधायों ने श्रम के महत्व को नष्ट कर दिया है। इस तरह यह विज्ञान का विध्वंसकारी पक्ष अभिशाप है।
उपसंहार :
विज्ञान अभिशाप है या वरदान इसका निर्णय हमारे ऊपर निर्भर करता है। यह हमारे विवेक पर निर्भर करता है कि हम वैज्ञानिक आविष्कार का उपयोग लोक कल्याण के लिए करें या उसका दुरुपयोग लोक संहार के लिए करें।
जैसे :- चाकू हत्यारे के हाथ में मौत का साघन बनता है और डाक्टर के हाथ में प्राणदान का औजार।
विज्ञान का विवेकपूर्ण उपयोग वरदान है किन्तु विवेकहीन दुरूपयोग अभिशाप। विज्ञान अपने आप में न तो वरदान है और न अभिशाप।
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Vigyan Vardan ya Abhishap par laghu nibandh
प्रस्तावना- आज का युग विज्ञान का युग है। आज हमें जितनी भी सुख सुविधाएँ प्राप्त हैं, वे सब विज्ञान के कारण हैं। इसने हमारे जीवन में अमृत घोल दिया है। इसलिए यह हमारे लिए वरदान है। पर विज्ञान ने कुछ ऐसे कार्य भी किए हैं, जिनसे मानव जीवन को खतरा पैदा हो गया है। इस दृष्टि से विज्ञान मानव जाति के लिए अभिशाप सिद्ध हो रहा है।Short Hindi Essay on Vigyan Vardan Beeh hai Aur Abhishap Beeh
विज्ञान वरदान- विज्ञान वरदान है। यह उस अलादीन के चिराग के समान है जिससे मनुष्य की सारी आवश्यकताएँ तुरन्त पूरी हो जाती हैं। नित्य नए नए आविष्कार हो रहे हैं। नई नई वस्तुएँ बाजारों में आ रही हैं। ये सारी वस्तुएँ विज्ञान के आविष्कारों का परिणाम हैं। इनसे जीवन में सुख और सुविधाएँ बढ़ रही हैं।
विज्ञान के आविष्कारों के कारण स्थान और समय की दूरी भी समाप्त हो रही है। एक समय था जब एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाने के लिए मनुष्य को कई दिन, महीने और कई बार कई कई साल तक लग जाते थे। पर अब दिनों में पूरी होने वाली यात्रा घंटों में पूरी हो जाती हैं। तेज गति से चलने वाले वायुयानों ने देशों की दूरी को समाप्त कर दिया है। टेलीफोन तार बेतार के तार आदि वैज्ञानिक आविष्कारों से विश्व के एक कोने में घटित होने वाली घटनाओं के समाचार मिनटों में विश्व के दूसरे कोने में पहुँच जाते हैं।
बटन युग- विज्ञान युग वास्तव में बटन युग है। बटन दबाइए पंखा आपको हवा करने के लिए तैयार हो जाता है। एक बार फिर बटन दबाइए, आप की आज्ञा का पालन करते हुए पंखा हवा करना बंद कर देता है। आपके बटन दबाने की जरूरत है, बस टी.वी. चल पड़ता है, सुन्दर दृश्य पर्दे पर दिखाई देने लगते हैं, किसी की भी सुरीली आवाज सुनाई देने लगती है। गायक आँखों के सामने प्रत्यक्ष हो जाता है।
जरा सोचिए यह सब विज्ञान के ही तो कारण है। पुस्तकें, समाचार पत्र, रेडियो, मोटर गाडि़याँ विज्ञान के वरदानों के कारण ही तो हैं।
विज्ञान अभिशाप भी है- विज्ञान वरदान है। यह सच है। विज्ञान अभिशाप करके मानव जाति के ध्वंस और विनाश की सामग्री तैयार कर दी है। इस एक आविष्कार ने यह सिद्ध कर दिया है कि विज्ञान अभिशाप है। कारण स्पष्ट है। एक अणु ब मके प्रयोग से लाखों इंसान मौत के मुँह चले जाएँगे। इसका प्रभाव उन तक ही सीमित नहीं रहेगा। आगे आने वाली सन्तानें भी इसके कुप्रभाव से नहीं बच पाएँगी। इतना भयंकर और हानिकारक होगा। इसका दुष्परिणाम। ऐसी हालत में विज्ञान अभिशाप बन कर रह जाएगा।
उपसंहार- सच्चाई तो यह है कि विज्ञान वरदान भी है और अभिशाप भी है। यदि मानव विज्ञान का प्रयोग मानव जाति के हित के लिए करेगा तो यह वरदान सिद्ध होगा। यदि मनुष्य ने इसका प्रयोग मानव के विनाश के लिए किया तो यह मानव मात्र के लिए अभिशाप बन जाएगा। पर इसमें विज्ञान का कोई दोष नहीं। इसमें सब से बड़ा दोष तो मानव का है जो मानव के विनाश के लिए विज्ञान का प्रयोग कर रहा है। अतः विज्ञान का प्रयोग मानव को इस प्रकार करना चाहिए जिससे मानव मात्र का कल्याण हो, विनाश नहीं।
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