विज्ञान वरदान भी अभिशाप भी विषय पर लगभग 300 शब्दों में निबंध लिखिए।
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प्रस्तावना:
आधुनिक युग को विज्ञान युग कहकर पुकारा जाता है। इस प्रकार आधुनिक युग और विज्ञान एक दूसरे के पर्यायवाची बन गए हैं। जैसे-जैसे मनोज दीक्षित हो रहा है वैसे वैसे उसकी आवश्यकताएं भी बढ़ती जा रही हैं। कहां जाता है कि आवश्यकता आविष्कार की जननी होती है। आविष्कार की जननी आज विज्ञान के रुप में हमारे सामने हैं जिधर भी आंख जाती है उधर ही नए नए आविष्कारों का साम्राज्य फैला दिखाई देता है। शिक्षा, चिकित्सा, मनोरंजन ,संचार परिवहन, आदि सभी क्षेत्रों में हमें विज्ञान का चमत्कार हमे नए आविष्कारों के रूप में दिखाई दे रहा है।
विज्ञान ने हमें अनेक सुख सुविधाएं प्रदान की है किंतु साथ ही विनाश के विभिन्न साधन भी जुटा दिए हैं। इस स्थिति मैं यह प्रश्न सोचने योग्य है कि वरदान मानव कल्याण के लिए कितना उपयोगी है ? वह समाज के लिए वरदान है या अभिशाप?
विज्ञान :वरदान के रूप में-
आधुनिक विज्ञान ने मानव सेवा के लिए अनेक प्रकार के साधन जुटा दिए हैं। रातों-रात महल खड़ा कर देना, आकाश मार्ग से उड़कर दूसरे स्थान पर चले जाना, शत्रु के नगरों को मिनटों में बर्बाद कर देना विज्ञान के द्वारा संभव ऐसे ही कार्य है।
विज्ञान मानव जीवन के लिए वरदान सिद्ध हुआ है।
क) चिकित्सा के क्षेत्र में:
चिकित्सा क्षेत्र में भी वैज्ञानिक उपलब्धिया चमत्कारी सिद्ध हो रही है। आधुनिक चिकित्सा इतनी विकसित हो गई है कि अंधे को आंखें और विकलांगों को अंग मिलना अब संभव नहीं लगता। प्लास्टिक सर्जरी के द्वारा हम अपना रंग रूप बदल सकते हैं। एक्स-रे द्वारा शरीर के किसी भी अंदरूनी भाग को स्पष्ट रुप से देखा जा सकता है। सूक्ष्म निरीक्षक यंत्रों के माध्यम से आज रोगाणु का पता लगाकर रोगों का उपचार अत्यंत आसान बन गया है। चिकित्सा विज्ञान की सहायता से आज गुर्दे व हृदय प्रत्यारोपण कार्य भी संभव हो गए हैं। सत्य तो यह है कि विज्ञान की सहायता से चिकित्सा क्षेत्र में इतनी उन्नति हो चुकी है कि मैं स्वाभाविक मृत्यु के अतिरिक्त मनुष्य ने सब कुछ वश में कर लिया है।
ख) परिवहन के क्षेत्र में:
यातायात के क्षेत्र में जीवन के चमत्कार अत्यंत चौका देने वाले हैं। जल थल और आकाश मार्ग पर तीव्र गति से दौड़ने वाले जलयानों ,मोटर वाहनों , वायुयानों की वर्तमान तीव्र गति देखकर किसे आश्चर्य नहीं होता। आरामदायक वीडियो कोच बसे, हवा से बातें करती हुई रेलगाड़ियां घंटे का सफर मिनटों में कराने वाले वायुयानों ने दुनिया की दूरी को समय दिया है। आज मनोज चंद्रमा पर पहुंच गए हैं तथा मंगल ग्रह की यात्रा के लिए तत्पर है।
ग) संचार के क्षेत्र में:
टेलीफोन तथा इंटरनेट की सुविधा ने सारे संसार को एक घर सा बना दिया है ।घर बैठा हुआ व्यक्ति संसार के किसी भी कोने में बैठे व्यक्ति से बातचीत कर सकता है। रेडियो और टेलीविजन द्वारा कुछ ही मिनटों में एक समाचार विश्व भर में प्रसारित किया जा सकता है।
घ) मनोरंजन के क्षेत्र में:
मनोरंजन के आधुनिक साधन विज्ञान की ही देन है। मनोरंजन की दुनिया में एक से एक अनुपम साधनों का आविष्कार हो जाने से मनोज घर बैठे ही जीवन के अनेक आनंदों का उपयोग कर सकता है। रेडियो, टीवी, कंप्यूटर जैसे साधन बहुत साधारण लगते हैं। टीवी ने मनोरंजन की दुनिया में महान क्रांति ला दी है। दुनिया के किसी भी भाग में होने वाली घटनाओं को हम इतने स्पष्ट व अप्रत्यक्ष रुप से देख सकते हैं जैसे की हमारे सामने ही घटित हो रही हैं।
ड़) दैनिक जीवन में:
हमारे दैनिक जीवन का प्रत्येक कार्य विज्ञान पर ही निर्भर हो गया है। विद्युत हमारे जीवन का महत्वपूर्ण अंग बन गई है आज दिल्ली के अभाव में जीवन की कल्पना कैसी अटपटी लगती है घर के छोटे बड़े सभी कार्यों में बिजली के प्रभुत्व को देखा जा सकता है। बिजली की सहायता से चलने वाली रेलों तथा वायुयानों ने मीलों की दूरी को घंटों की दूरी में बदल दिया है। बिजली के पंखे , प्रेस, कुकिंग गैस, स्टोव, फ्रिज , वाशिंग मशीन, गीजर आदि के निर्माण में मानव जीवन को सुविधापूर्ण जीवन दिया है। इन अविष्कारों से समय , शक्ति व धन की बचत होती है।
विज्ञान: एक अभिशाप के रूप में-
विज्ञान का एक दूसरा पहलू भी है। विज्ञान ने मनुष्य के हाथ में बहुत अधिक शक्ति देती है किंतु उसके प्रयोग पर कोई बंधन नहीं लगाया है। स्वार्थी मानव इस शक्ति का प्रयोग जितना रचनात्मक कार्यों के लिए कर रहा है उससे अधिक प्रयोग विनाशकारी कार्यों के लिए भी कर रहा है। विज्ञान के विकास से भयंकर भी मानव के सामने उपस्थित हो गया है। मानव सभ्यता का संपूर्ण विनाश भी हो सकता है।
सुविधा प्रदान करने वाले उपकरणों ने मनुष्य को आलसी बना दिया है। यंत्रों के अत्यधिक उपयोग ने देश में बेरोजगारी को जन्म दिया है। परमाणु अस्त्रों के परीक्षणों ने मानव को डरा कर रख दिया है। जापान के नागासाकी और हिरोशिमा नगरों का विनाश विज्ञान की ही देन माना गया है। अब तो उससे भी कई गुना अधिक मारक शक्ति वाले बम तैयार किए जा चुके हैं। परमाणु तथा हाइड्रोजन बम निसंदेह विश्व शांति के लिए खतरा बन गए हैं। इनके प्रयोग से किसी भी समय संपूर्ण विश्व का नाश करना संभव है।
विज्ञान वरदान या अभिशाप?
आधुनिक विज्ञान के चमत्कारी अविष्कार अपने अंदर निर्माण व विध्वंस दोनों ही प्रकार की शक्तियां संजोए हुए हैं। वैज्ञानिक आविष्कार और उसकी अपारशक्ति हमारे लिए कल्याणकारी है तो दूसरी और विनाश का कारण भी। विज्ञान तो एक शक्ति है जिसका उपयोग अच्छे और बुरे दोनों तरह के कामो के लिए किया जा सकता है। यदि मनुष्य विचारशील और विवेकशील होकर विज्ञान के चमत्कारों का प्रयोग करेगा तो यह संसार सुख और समृद्धि की राह पर आसानी से बढ़ सकेगा।
उपसंहार:
विज्ञान का वास्तविक लक्ष्य मानव हित और मानव कल्याण। यदि विज्ञान अपने इस उद्देश्य की दिशा में पिछड़ जाता है तो विज्ञान को त्याग देना ही अच्छा होगा।
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आधुनिक युग को विज्ञान युग कहकर पुकारा जाता है। इस प्रकार आधुनिक युग और विज्ञान एक दूसरे के पर्यायवाची बन गए हैं। जैसे-जैसे मनोज दीक्षित हो रहा है वैसे वैसे उसकी आवश्यकताएं भी बढ़ती जा रही हैं। कहां जाता है कि आवश्यकता आविष्कार की जननी होती है। आविष्कार की जननी आज विज्ञान के रुप में हमारे सामने हैं जिधर भी आंख जाती है उधर ही नए नए आविष्कारों का साम्राज्य फैला दिखाई देता है। शिक्षा, चिकित्सा, मनोरंजन ,संचार परिवहन, आदि सभी क्षेत्रों में हमें विज्ञान का चमत्कार हमे नए आविष्कारों के रूप में दिखाई दे रहा है।
विज्ञान ने हमें अनेक सुख सुविधाएं प्रदान की है किंतु साथ ही विनाश के विभिन्न साधन भी जुटा दिए हैं। इस स्थिति मैं यह प्रश्न सोचने योग्य है कि वरदान मानव कल्याण के लिए कितना उपयोगी है ? वह समाज के लिए वरदान है या अभिशाप?
विज्ञान :वरदान के रूप में-
आधुनिक विज्ञान ने मानव सेवा के लिए अनेक प्रकार के साधन जुटा दिए हैं। रातों-रात महल खड़ा कर देना, आकाश मार्ग से उड़कर दूसरे स्थान पर चले जाना, शत्रु के नगरों को मिनटों में बर्बाद कर देना विज्ञान के द्वारा संभव ऐसे ही कार्य है।
विज्ञान मानव जीवन के लिए वरदान सिद्ध हुआ है।
क) चिकित्सा के क्षेत्र में:
चिकित्सा क्षेत्र में भी वैज्ञानिक उपलब्धिया चमत्कारी सिद्ध हो रही है। आधुनिक चिकित्सा इतनी विकसित हो गई है कि अंधे को आंखें और विकलांगों को अंग मिलना अब संभव नहीं लगता। प्लास्टिक सर्जरी के द्वारा हम अपना रंग रूप बदल सकते हैं। एक्स-रे द्वारा शरीर के किसी भी अंदरूनी भाग को स्पष्ट रुप से देखा जा सकता है। सूक्ष्म निरीक्षक यंत्रों के माध्यम से आज रोगाणु का पता लगाकर रोगों का उपचार अत्यंत आसान बन गया है। चिकित्सा विज्ञान की सहायता से आज गुर्दे व हृदय प्रत्यारोपण कार्य भी संभव हो गए हैं। सत्य तो यह है कि विज्ञान की सहायता से चिकित्सा क्षेत्र में इतनी उन्नति हो चुकी है कि मैं स्वाभाविक मृत्यु के अतिरिक्त मनुष्य ने सब कुछ वश में कर लिया है।
ख) परिवहन के क्षेत्र में:
यातायात के क्षेत्र में जीवन के चमत्कार अत्यंत चौका देने वाले हैं। जल थल और आकाश मार्ग पर तीव्र गति से दौड़ने वाले जलयानों ,मोटर वाहनों , वायुयानों की वर्तमान तीव्र गति देखकर किसे आश्चर्य नहीं होता। आरामदायक वीडियो कोच बसे, हवा से बातें करती हुई रेलगाड़ियां घंटे का सफर मिनटों में कराने वाले वायुयानों ने दुनिया की दूरी को समय दिया है। आज मनोज चंद्रमा पर पहुंच गए हैं तथा मंगल ग्रह की यात्रा के लिए तत्पर है।
ग) संचार के क्षेत्र में:
टेलीफोन तथा इंटरनेट की सुविधा ने सारे संसार को एक घर सा बना दिया है ।घर बैठा हुआ व्यक्ति संसार के किसी भी कोने में बैठे व्यक्ति से बातचीत कर सकता है। रेडियो और टेलीविजन द्वारा कुछ ही मिनटों में एक समाचार विश्व भर में प्रसारित किया जा सकता है।
घ) मनोरंजन के क्षेत्र में:
मनोरंजन के आधुनिक साधन विज्ञान की ही देन है। मनोरंजन की दुनिया में एक से एक अनुपम साधनों का आविष्कार हो जाने से मनोज घर बैठे ही जीवन के अनेक आनंदों का उपयोग कर सकता है। रेडियो, टीवी, कंप्यूटर जैसे साधन बहुत साधारण लगते हैं। टीवी ने मनोरंजन की दुनिया में महान क्रांति ला दी है। दुनिया के किसी भी भाग में होने वाली घटनाओं को हम इतने स्पष्ट व अप्रत्यक्ष रुप से देख सकते हैं जैसे की हमारे सामने ही घटित हो रही हैं।
ड़) दैनिक जीवन में:
हमारे दैनिक जीवन का प्रत्येक कार्य विज्ञान पर ही निर्भर हो गया है। विद्युत हमारे जीवन का महत्वपूर्ण अंग बन गई है आज दिल्ली के अभाव में जीवन की कल्पना कैसी अटपटी लगती है घर के छोटे बड़े सभी कार्यों में बिजली के प्रभुत्व को देखा जा सकता है। बिजली की सहायता से चलने वाली रेलों तथा वायुयानों ने मीलों की दूरी को घंटों की दूरी में बदल दिया है। बिजली के पंखे , प्रेस, कुकिंग गैस, स्टोव, फ्रिज , वाशिंग मशीन, गीजर आदि के निर्माण में मानव जीवन को सुविधापूर्ण जीवन दिया है। इन अविष्कारों से समय , शक्ति व धन की बचत होती है।
विज्ञान: एक अभिशाप के रूप में-
विज्ञान का एक दूसरा पहलू भी है। विज्ञान ने मनुष्य के हाथ में बहुत अधिक शक्ति देती है किंतु उसके प्रयोग पर कोई बंधन नहीं लगाया है। स्वार्थी मानव इस शक्ति का प्रयोग जितना रचनात्मक कार्यों के लिए कर रहा है उससे अधिक प्रयोग विनाशकारी कार्यों के लिए भी कर रहा है। विज्ञान के विकास से भयंकर भी मानव के सामने उपस्थित हो गया है। मानव सभ्यता का संपूर्ण विनाश भी हो सकता है।
सुविधा प्रदान करने वाले उपकरणों ने मनुष्य को आलसी बना दिया है। यंत्रों के अत्यधिक उपयोग ने देश में बेरोजगारी को जन्म दिया है। परमाणु अस्त्रों के परीक्षणों ने मानव को डरा कर रख दिया है। जापान के नागासाकी और हिरोशिमा नगरों का विनाश विज्ञान की ही देन माना गया है। अब तो उससे भी कई गुना अधिक मारक शक्ति वाले बम तैयार किए जा चुके हैं। परमाणु तथा हाइड्रोजन बम निसंदेह विश्व शांति के लिए खतरा बन गए हैं। इनके प्रयोग से किसी भी समय संपूर्ण विश्व का नाश करना संभव है।
विज्ञान वरदान या अभिशाप?
आधुनिक विज्ञान के चमत्कारी अविष्कार अपने अंदर निर्माण व विध्वंस दोनों ही प्रकार की शक्तियां संजोए हुए हैं। वैज्ञानिक आविष्कार और उसकी अपारशक्ति हमारे लिए कल्याणकारी है तो दूसरी और विनाश का कारण भी। विज्ञान तो एक शक्ति है जिसका उपयोग अच्छे और बुरे दोनों तरह के कामो के लिए किया जा सकता है। यदि मनुष्य विचारशील और विवेकशील होकर विज्ञान के चमत्कारों का प्रयोग करेगा तो यह संसार सुख और समृद्धि की राह पर आसानी से बढ़ सकेगा।
उपसंहार:
विज्ञान का वास्तविक लक्ष्य मानव हित और मानव कल्याण। यदि विज्ञान अपने इस उद्देश्य की दिशा में पिछड़ जाता है तो विज्ञान को त्याग देना ही अच्छा होगा।
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kvnmurty:
बहुत अच्छा । काफी लंबा लिखे
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276
विज्ञान : वरदान या अभिशाप
प्रस्तावना :
वर्तमान युग को वैज्ञानिक युग कहा जाता है। आज सर्वत्र ही विज्ञान का बोलबाला है। मानव जीवन का शायद ही कोई कोना हो, जहाँ विज्ञान का प्रकाश न पहुँचा हो। छोटी - छोटी आवश्यकताओं एवं कार्यों के लिए हमें विज्ञान के आविष्कारों का सहारा लेना पड़ता है। मनुष्य ने अपने बल- बुद्धि द्वारा जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में अनेक आविष्कार किए है। विज्ञान द्वारा मानव जीवन में जो सुखद परिवर्तन आए है, कुछ समय पूर्व तक उसकी कल्पना भी असंभव थी। आज मनुष्य की दिनचर्या की शुरूआत विज्ञान से होती है, तो अंत भी विज्ञान की उपलब्धि से ही होती है।
विज्ञान ने हमारे जीवन के प्रत्येक क्षेत्र को प्रभावित किया है। इसने ब्रह्माण्ड के चप्पे-चप्पे को छान लिया है। समुद्र की अतल गहराई यदि इसका एक छोर है तो दूसरा छोर अंतरिक्ष से भी ऊपर है। इसने हमारे भौतिक जीवन को तो सुखमय बनाया ही है; नवीन ज्ञान के प्रकाश से हमारे मन से अंधविश्वास के अंधकार को भी दूर कर दिया है। बैलगाड़ी के युग से राकेट युग तक हमे ले आने का श्रेय विज्ञान को ही है।
विज्ञान वरदान के रूप में :
भौतिक जीवन को सुखमय बनाने के अनेक साधन विज्ञान की मदद से ही सुलभ हुए है। विज्ञान के चलते नयी-नयी मशीनों एंव उपकरणों का आविष्कार हुआ है जिससे श्रम की बचत के साथ ही अप्रिय और मन को उबा देनेवाले कामों से भी हमें घुटकारा मिल गया है। जो काम वर्षों में होता था, वह अब चंद दिनों में समाप्त हो जाता है।
♣ कृषि क्षेत्र में
कृषि के क्षेत्र में परिर्वतन का श्रेय भी विज्ञान को ही है। हल से जो खेत महीनों में जोता जाता था वह अब ट्रैक्टर सें चंद दिनों में जोत दिया जाता है। उन्नत बीजों का विकास हुआ जिससे उपज कई गुना बढ़ गयी है। मशीनों की सहायता से बीज बोने से लेकर अनाज की कुटाई-पिसाइ तक का काम आसानी से हो जाता है। कीटनाशक दवाइयाँ और रसायन काफी मददगार साबित हो रहे है।
♣ स्वास्थ और चिकित्सा के क्षेत्र में
चिकित्सा के क्षेत्र में भी विज्ञान की उपलब्धीयाँ कम नही है। पहले हेजा, मलेरिया, चेचक जैसे रोगों से लाखों व्यकित की मृत्यु हो जाती थी , अब इन पर नियंत्रण पा लिया गया है। एक्स-रे सर्जरी जैसी न जाने कितनी चिकितत्सा- पद्धतियाँ मनुष्य के लिए अत्यतं उपयोगी वरदान सिद्धध हो रही है। महत्त्वपूर्ण अंगो जैसे :- ह्नदय, आँख, आदि के अंग- रोपन से मनुष्य को नया जीवन मिल रहा है।
♣ आवागमन के क्षेत्र में :
विज्ञान की ताकत ने मनुष्य को पृथ्वी , समुद्र, और आकाश का स्वामी बना दिया है। पृथ्वी के एक छोर से दूसरे छोर तक कुछ ही समय में पहुँचा जा सकता है। विज्ञान से मानव चंद्रमा तो क्या मंगल ग्रह तक पहुँच चुका है।
♣ दूर- संचार के क्षेत्र में
संचार की प्रगति की बदौलत घर बैठे हजारों मील दूर के लोगों से बातचीत मिनटों में हो जाती है।
♣ मनोरंजन के क्षेत्र में
टेलीविजन, इंटरनेट, रेडियो जैसे विज्ञान निर्मित मनोरंजन के अनेक साधन , दुनिया के एक छोर पर होनेवाली घटना को दूसरे छोर पर के लोग साक्षात देख-सुन सकते है।
♣ शिक्षा के क्षेत्र में
शिक्षा के क्षेत्र में भी विज्ञान की देन अनुपम है। प्रिटिंग मशीन की मदद से ज्ञान की पुस्तके उपलब्ध हो रही है।
विज्ञान अभिशाप के रूप में :
विज्ञान हमारे लिए वरदान है तो दूसरी और अभिशाप भी बनता जा रहा है। विज्ञान के विध्वंसकारी स्वरूप की कल्पना से ह्नदय कांप उठता है। विनाशकारी अस्त्र- शास्त्रों के निमार्ण में विज्ञान के दुरूपयोग के परिणाम हम दो महायुद्धों में देख चुके है। जापान के नागासाकी और हिरोशिमा दो नगरों का संहार एटम बम द्वारा चंद मिनटों में हुआ था।
प्रसिद्ध वैज्ञानिक आईन्सटीन ने कहा है कि यदि दुभार्गय से तृतीय विश्वयुद्ध हुआ तो मानव समाज का सर्वनाश हो जायगा। औद्योगिक विकास का श्रेय अवश्य विज्ञान है किन्तु पर्यावरण के प्रदूषण का दोषी भी विज्ञान ही है। सुख-सुविधायों ने श्रम के महत्व को नष्ट कर दिया है। इस तरह यह विज्ञान का विध्वंसकारी पक्ष अभिशाप है।
उपसंहार :
विज्ञान अभिशाप है या वरदान इसका निर्णय हमारे ऊपर निर्भर करता है। यह हमारे विवेक पर निर्भर करता है कि हम वैज्ञानिक आविष्कार का उपयोग लोक कल्याण के लिए करें या उसका दुरुपयोग लोक संहार के लिए करें।
जैसे :- चाकू हत्यारे के हाथ में मौत का साघन बनता है और डाक्टर के हाथ में प्राणदान का औजार।
विज्ञान का विवेकपूर्ण उपयोग वरदान है किन्तु विवेकहीन दुरूपयोग अभिशाप। विज्ञान अपने आप में न तो वरदान है और न अभिशाप।
प्रस्तावना :
वर्तमान युग को वैज्ञानिक युग कहा जाता है। आज सर्वत्र ही विज्ञान का बोलबाला है। मानव जीवन का शायद ही कोई कोना हो, जहाँ विज्ञान का प्रकाश न पहुँचा हो। छोटी - छोटी आवश्यकताओं एवं कार्यों के लिए हमें विज्ञान के आविष्कारों का सहारा लेना पड़ता है। मनुष्य ने अपने बल- बुद्धि द्वारा जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में अनेक आविष्कार किए है। विज्ञान द्वारा मानव जीवन में जो सुखद परिवर्तन आए है, कुछ समय पूर्व तक उसकी कल्पना भी असंभव थी। आज मनुष्य की दिनचर्या की शुरूआत विज्ञान से होती है, तो अंत भी विज्ञान की उपलब्धि से ही होती है।
विज्ञान ने हमारे जीवन के प्रत्येक क्षेत्र को प्रभावित किया है। इसने ब्रह्माण्ड के चप्पे-चप्पे को छान लिया है। समुद्र की अतल गहराई यदि इसका एक छोर है तो दूसरा छोर अंतरिक्ष से भी ऊपर है। इसने हमारे भौतिक जीवन को तो सुखमय बनाया ही है; नवीन ज्ञान के प्रकाश से हमारे मन से अंधविश्वास के अंधकार को भी दूर कर दिया है। बैलगाड़ी के युग से राकेट युग तक हमे ले आने का श्रेय विज्ञान को ही है।
विज्ञान वरदान के रूप में :
भौतिक जीवन को सुखमय बनाने के अनेक साधन विज्ञान की मदद से ही सुलभ हुए है। विज्ञान के चलते नयी-नयी मशीनों एंव उपकरणों का आविष्कार हुआ है जिससे श्रम की बचत के साथ ही अप्रिय और मन को उबा देनेवाले कामों से भी हमें घुटकारा मिल गया है। जो काम वर्षों में होता था, वह अब चंद दिनों में समाप्त हो जाता है।
♣ कृषि क्षेत्र में
कृषि के क्षेत्र में परिर्वतन का श्रेय भी विज्ञान को ही है। हल से जो खेत महीनों में जोता जाता था वह अब ट्रैक्टर सें चंद दिनों में जोत दिया जाता है। उन्नत बीजों का विकास हुआ जिससे उपज कई गुना बढ़ गयी है। मशीनों की सहायता से बीज बोने से लेकर अनाज की कुटाई-पिसाइ तक का काम आसानी से हो जाता है। कीटनाशक दवाइयाँ और रसायन काफी मददगार साबित हो रहे है।
♣ स्वास्थ और चिकित्सा के क्षेत्र में
चिकित्सा के क्षेत्र में भी विज्ञान की उपलब्धीयाँ कम नही है। पहले हेजा, मलेरिया, चेचक जैसे रोगों से लाखों व्यकित की मृत्यु हो जाती थी , अब इन पर नियंत्रण पा लिया गया है। एक्स-रे सर्जरी जैसी न जाने कितनी चिकितत्सा- पद्धतियाँ मनुष्य के लिए अत्यतं उपयोगी वरदान सिद्धध हो रही है। महत्त्वपूर्ण अंगो जैसे :- ह्नदय, आँख, आदि के अंग- रोपन से मनुष्य को नया जीवन मिल रहा है।
♣ आवागमन के क्षेत्र में :
विज्ञान की ताकत ने मनुष्य को पृथ्वी , समुद्र, और आकाश का स्वामी बना दिया है। पृथ्वी के एक छोर से दूसरे छोर तक कुछ ही समय में पहुँचा जा सकता है। विज्ञान से मानव चंद्रमा तो क्या मंगल ग्रह तक पहुँच चुका है।
♣ दूर- संचार के क्षेत्र में
संचार की प्रगति की बदौलत घर बैठे हजारों मील दूर के लोगों से बातचीत मिनटों में हो जाती है।
♣ मनोरंजन के क्षेत्र में
टेलीविजन, इंटरनेट, रेडियो जैसे विज्ञान निर्मित मनोरंजन के अनेक साधन , दुनिया के एक छोर पर होनेवाली घटना को दूसरे छोर पर के लोग साक्षात देख-सुन सकते है।
♣ शिक्षा के क्षेत्र में
शिक्षा के क्षेत्र में भी विज्ञान की देन अनुपम है। प्रिटिंग मशीन की मदद से ज्ञान की पुस्तके उपलब्ध हो रही है।
विज्ञान अभिशाप के रूप में :
विज्ञान हमारे लिए वरदान है तो दूसरी और अभिशाप भी बनता जा रहा है। विज्ञान के विध्वंसकारी स्वरूप की कल्पना से ह्नदय कांप उठता है। विनाशकारी अस्त्र- शास्त्रों के निमार्ण में विज्ञान के दुरूपयोग के परिणाम हम दो महायुद्धों में देख चुके है। जापान के नागासाकी और हिरोशिमा दो नगरों का संहार एटम बम द्वारा चंद मिनटों में हुआ था।
प्रसिद्ध वैज्ञानिक आईन्सटीन ने कहा है कि यदि दुभार्गय से तृतीय विश्वयुद्ध हुआ तो मानव समाज का सर्वनाश हो जायगा। औद्योगिक विकास का श्रेय अवश्य विज्ञान है किन्तु पर्यावरण के प्रदूषण का दोषी भी विज्ञान ही है। सुख-सुविधायों ने श्रम के महत्व को नष्ट कर दिया है। इस तरह यह विज्ञान का विध्वंसकारी पक्ष अभिशाप है।
उपसंहार :
विज्ञान अभिशाप है या वरदान इसका निर्णय हमारे ऊपर निर्भर करता है। यह हमारे विवेक पर निर्भर करता है कि हम वैज्ञानिक आविष्कार का उपयोग लोक कल्याण के लिए करें या उसका दुरुपयोग लोक संहार के लिए करें।
जैसे :- चाकू हत्यारे के हाथ में मौत का साघन बनता है और डाक्टर के हाथ में प्राणदान का औजार।
विज्ञान का विवेकपूर्ण उपयोग वरदान है किन्तु विवेकहीन दुरूपयोग अभिशाप। विज्ञान अपने आप में न तो वरदान है और न अभिशाप।
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