Hindi, asked by gorgeousqueen86, 10 months ago

विज्ञापन बनाना है आकर्षित mask के ऊपर​

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Answered by devip649110
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नई दिल्ली/टीम डिजिटल। फेसबुक (facebook) ने चेहरे पर लगाए जाने वाले मेडिकल मास्क संबंधी विज्ञापनों पर स्थायी रूप से प्रतिबंध लगाने का फैसला किया है ताकि इस सोशल मीडिया (social media ) मंच का इस्तेमाल कोरोना वायरस (corona virus) को लेकर लोगों की चिंताओं को और बढ़ाने में न किया जा सके।

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कुछ ही दिनों में प्रतिबंध लगाना शुरु करेगा फेसबुक

कंपनी ने कहा कि इस फैसले के तहत सोशल मीडिया मंच पर विज्ञापनों पर रोक लगने के साथ साथ फेसबुक मार्केटप्लेस पर वाणिज्यिक मकसद से भी पोस्ट डालने पर प्रतिबंध लगाया जाएगा। फेसबुक ने कहा कि वह आगामी कुछ दिनों में प्रतिबंध लगाना शुरू करेगा। कंपनी के उत्पाद प्रबंधन निदेशक रॉब लेदर्न ने शुक्रवार देर रात जारी एक बयान में कहा कि हमारी टीमें कोविड-19 की स्थिति पर निकटता से नजर रख रही हैं और यदि हमें लगता है कि लोग इस सार्वजनिक स्वास्थ्य आपात स्थिति का फायदा उठाने की कोशिश कर रहे हैं, तो हम हमारी नीतियों में आवश्यक बदलाव करेंगे।’

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24 घंटे जांच कर रहे एनआईवी के वैज्ञानिक

महाराष्ट्र के पुणे में स्थित राष्ट्रीय विषाणु विज्ञान संस्थान (एनआईवी) के वैज्ञानिक सुरक्षात्मक गाउन, चश्में, एन-95 मास्क और दस्तानों जैसी रक्षात्मक चीजे पहनकर घातक कोरोना वायरस का पता लगाने के लिए ‘24 घंटे’ नमूनों की जांच के काम में जुटे हैं। वहीं, देशभर में फैले इसके सहयोगी केंद्र भी ऐसे नमूनों की जांच रहे हैं। भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद के एक वरिष्ठ वैज्ञानिक ने बताया कि एनआईवी देश में विषाणु की जांच करने वाला देश का प्रमुख केंद्र है। यहां दिन की शुरुआत में वैज्ञानिक रणनीति बनाते हैं जिसमें कोविड-19 के नए मामलों की जांच, उन मामलों की फिर से पुष्टि करना जो पहले से पॉजिटिव हैं। इसके अलावा अन्य प्रयोगशालाओं को सहायता एवं मार्गदर्शन मुहैया कराते हैं।

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एक महीने में 4000 से ज्यादा नमूनों की जांच की

ICMR के महामारी विज्ञान और संचारी रोग-1 (ECD-1) के प्रमुख रमण आर गंगाखेडकर ने कहा कि पिछले एक महीने से हम देशभर के करीब 4,000 नमूनों की जांच कर चुके हैं। हर दिन औसतन हम 25 नमूनों की जांच करते हैं।’’ भारत में अबतक कोरोना वायरस के 39 मामलों की पुष्टि हो चुकी है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने नमूनों की जांच के लिए 52 प्रयोगशालाओं को शुरू कराया। इसके अलावा 57 प्रयोगशालाओं में नमूनों का संग्रह हो सकता है। अधिकारियों ने बताया कि छह मार्च तक 3,404 लोगों के कुल 4,058 नमूनों का परीक्षण किया जा चुका है। उदाहरण के लिए इस तरह से समझिए कि अगर एनआईवी में एक दिन में 10 नमूने आते हैं तो पांच नमूने सुबह में आते हैं, तीन शाम में और करीब दो रात में आते हैं।

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10 से 24 घंटे का समय लगता है जांच की पुष्टि में

शोधकर्ता यह सुनिश्चित करने के लिए 24 घंटे काम कर रहे हैं कि कोरोना वायरस का पता लगाने के लिए नमूनों की जांच सुचारू तरीके से हो। एनआईवी में अबतक ज्यादातर नमूने संक्रमण की पुन: पुष्टि के लिए आए हैं। इस संक्रमण से 3,500 लोगों की मौत हो चुकी है और 92 देशों में 100,000 से ज्यादा संक्रमित हुए हैं। एनआईवी की अहम भूमिका के बारे में उन्होंने बताया कि अगर यात्रियों या मरीजों का एक समूह वुहान या जापान से लाया जाता है।

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Answered by manish954655
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Answer:

इंसान अकेली एक ऐसी जाति है जो कि बिना जाने अपने हाथों से चेहरे छूने के लिए जानी जाती है. उसकी या आदत नये कोरोना वायरस (कोविड-19) जैसी बीमारियों को फैलने में मदद करती है.

लेकिन हम ये क्यों करते हैं और क्या हम अपनी इस आदत को रोक सकते हैं?

हम सब दिन में कई बार अपना चेहरा छूते हैं. साल 2015 में ऑस्ट्रेलिया के मेडिकल की पढ़ाई करने वाले युवाओं पर एक अध्ययन किया गया. इसमें ये सामने आया कि मेडिकल स्टूडेंट्स भी ख़ुद को इससे नहीं बचा सके.

शायद मेडिकल स्टूडेंट्स को इससे पैदा होने वाले ख़तरों को लेकर ज़्यादा जाग्रत रहना चाहिए था. लेकिन उन्होंने भी कम से कम एक घंटे में 23 बार अपने चेहरे को छुआ. इसमें मुंह, नाक और आँखें शामिल हैं.

सामाजिक स्वास्थ्य के क्षेत्र में काम करने वाली संस्थाएं और पेशेवर जिसमें विश्व स्वास्थ्य संगठन भी शामिल हैं, कहती हैं कि ये मुंह छूने की आदत ख़तरनाक है.

कोविड-19 से जुड़ी सलाह में हाथों को साफ रखना और उन्हें धुलने पर जोर दिया गया है.

कोरोना वायरस

किन-किन देशों में मास्क पहनना है ज़रूरी

विश्व स्वास्थ्य संगठन ने अब तक मास्क पहनने को बाध्यकारी बनाने को लेकर कोई सलाह नहीं दी है लेकिन ये ज़रूर कहा है कि अगर आप बीमार हैं तो दूसरों को संक्रमित न करें इसके लिए ज़रूरी है कि आप घर से बाहर निकलने पर मास्क पहनें .

मार्च 18 को चेक गणराज्य ने सार्वजनिक जगहों पर मास्क पहनना बाध्यकारी कर दिया था. इसके बाद स्लोवाकिया ने 25 मार्च को लोगों को घर से बाहर निकलने पर मास्क पहनने के लिए कहा. इसके बाद बोस्निया और हर्ज़ेगोविना ने भी 29 मार्च को लोगों के लिए सार्वजनिक जगहों पर मास्क पहनना ज़रूरी कर दिया.

अप्रैल 6 को ऑस्ट्रिया में कुछ दुकानों को खोलने की इजाज़त दी गई है लेकिन सरकार ने कहा कि दुकानों पर जाने वालों के लिए मास्क पहनना बाध्यकारी होगा.

मोरक्को ने मार्च के मध्य में ही संपूर्ण लॉकडाउन लागू कर दिया गया था जिसके बाद अप्रैल 7 को यहां घर पर और घर से बाहर निकलने पर मास्क पहनना ज़रूरी बना दिया गया. अब तक पुलिस ने मास्क न पहनने के लिए पचास हज़ार से अधिक लोगों को गिरफ्तार किया है.

अप्रैल 7 को तुर्की ने भी अपने नागरिकों से सार्वजनिक जगहों पर मास्क पहनने को कहा.

जर्मनी की चांसलर एंगेल मर्केल ने 20 अप्रैल को घोषणा की कुछ देश में लॉकडाउन में राहत तो नहीं दी जाएगी लेकिन इस बीच छोटी दुकानों को खोलने की सरकार इजाज़त देगी. इसके बाद जर्मनी के कई राज्यों ने सार्वजनक जगहों पर नाक और मुंह ढकना ज़रूरी बना दिया.

अब जर्मनी ने कोरोना फैलने से रोकने के लिए पूरे देश में लोगों के लिए मास्क पहनना ज़रूरी कर दिया है.

कोरोना वायरस

Image copyrightGETTY IMAGESमास्क पहने महिला

लेकिन हम ऐसा क्यों करते हैं ?

इंसान और कुछ स्तनपायी जीव ख़ुद को ऐसा करने से नहीं रोक पाते हैं. ऐसा लगता है कि ये हमारे विकास के क्रम का हिस्सा है.

चूंकि कुछ जातियां अपने चेहरों को छूकर कीड़ों को हटाने की कोशिश करते हैं. लेकिन हम और दूसरे अन्य स्तनपायी जीव दूसरे कारणों की वजह से भी ऐसा करते हैं.

अमरीका स्थित यूसी बार्कले यूनिवर्सिटी में मनोविज्ञान के प्रोफ़ेसर डाचर केल्टनर बताते हैं, "कभी-कभी ये एक तरह से ख़ुद को सहलाने जैसा काम होता है. वहीं, कभी-कभी हम अंजाने में अपने हाथों से मुंह छूकर अपने हाथों का इस्तेमाल कुछ इस तरह करते हैं जैसे कि एक थिएटर के स्टेज पर पर्दे को इस्तेमाल किया जाता है. जिसमें एक पहलू से होकर दूसरे पहलू में जाने के लिए पर्दा डालते और हटाते हैं."

बिहेवियरल साइंस के क्षेत्र से जुड़े दूसरे विशेषज्ञ मानते हैं कि ख़ुद को छून अपने भावों को नियंत्रित करने और ध्यान खींचने से जुड़ा होता है.

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