Hindi, asked by manogyasinha, 1 month ago

विज्ञापन की दुनिया nibhand for class 7​

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Answered by ganeshkumarjayswal1
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Scienctic bio of world

of 7

Answered by vv2018887
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एक दौर था जब लोग वस्तु की गुणवत्ता के परख कर उसे खरीदते थे. मगर आज के चमक दमक के युग में हर कोई अपने उत्पादों को अधिक से अधिक बेचने तथा मुनाफा कमाने के चक्कर में विज्ञापनों पर आश्रित हो गये हैं.

आज इतना निश्चित है जिस कम्पनी अथवा उत्पाद का विज्ञापन खर्च जितना अधिक होगा तथा बड़ी से बड़ी सेलिब्रेटी से इसका प्रसार प्रचार करवा दिया तो मानों वह हिट है.

थम्स अप, कोका कोला, कालगेट, विभिन्न तरफ के साबुन और अपमार्जक यहाँ तक की केसर सुगंध युक्त विमल पान मसाला भी बड़े लोगों के विज्ञापन से जन जन में लोकप्रिय हो चूका हैं.

ऐसा नहीं है कि विज्ञापन नुकसानदायक होते हैं, मगर आजकल सभी मानकों को तोडकर समाज को भ्रम में डालने एवं ग्राहकों के साथ खिलवाड़ करने वाले एड बेहद हानिकारक हैं.

समाज में नशे की प्रवृत्ति इतनी अधिक प्रचलित हैं, लोग गुटका, तम्बाकू आदि से अपना जीवन गंवा रहे हैं. वही चंद धन की खातिर आज पान मसालों को विज्ञापन के जरिये जन जन को उसका स्वाद लेने के लिए प्रेरित कर रहे हैं.

बड़ी बड़ी हस्तियाँ बिना वस्तु के गुण दोष जाने बस लाना ही लाना, इस दिवाली, इस होली इस तरह के विज्ञापनों की भरमार हैं. आज के डिजिटल युग में मोबाइल से टीवी और अखबार तक यह धंधा बड़े जोर से चल रहा हैं.

एक छोटे से विज्ञापन में अथाह क्षमता भी छिपी होती हैं. वह मामूली सी गुणवत्ता वाले उत्पाद को बेस्ट सेलर प्रोडक्ट भी बना सकता हैं. ‘ठंडा मतलब कोकाकोला’ हो या ‘सर उठा के जियो’ अथवा ‘कुछ मीठा हो जाए’ एमडीएस मसाले सच सच जैसे सैकड़ों स्लोगन आज हर जुबा पर बैठ से गये हैं.

मैगी, सॉस एंव साबुन-शैंपू, तेल, घी, मसाले जैसे उत्पादों के विज्ञापनों की रचनात्मकता तो देखते ही बनती हैं. अब तो बिसलेरी पानी की बोतल का प्रसार मानव नहीं रेगिस्तान का ऊंट कर रहा हैं.

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