Hindi, asked by apoorvaa59, 9 months ago

विज्ञापन और हमारा जीवन पर निबंध।
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Answered by ıtʑFᴇᴇʟɓᴇãᴛ
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विज्ञापन और हमारा जीवन

विज्ञान और मनुष्य का संबंध हमेशा से रहा है। विज्ञान मनुष्य की उच्च बौद्धिक क्षमता का नाम है। मानव ने जबसे अपने आस-पास की चीज़ों को समझना आरंभ किया उसका बौद्धिक विकास आरंभ होने लगा। बेहतर जीवन के लिए उसे अनेकों प्रकार की भौतिक सुविधाओं की आवश्यकता पड़ी। पहले वह पशुओं की भांति ही था। फिर उसने विकास करना आरंभ किया। अब उसे पहने के लिए वस्त्रों की, रहने के लिए घर की और भोजन के पकाने के लिए आग की आवश्यकता की। अपनी ज़रूरतों को देखते हुए उसने वस्त्रों का निर्माण किया, रहने के लिए घरों का निर्माण किया और भोजन पकाने के लिए आग को विकसित किया। यहीं से विज्ञान उसके जीवन का अभिन्न अंग बन गया।

आज विज्ञान के कारण ही हमारे पास सभी प्रकार की आधुनिक सविधाएँ विद्यमान है। कहीं भी बैठे हम अपने रिश्तेदारों से बात कर सकते हैं। किसी को संदेश दे सकते हैं। मिनटों में कहीं भी आ जा सकते हैं। पानी को काटते हुए विशाल जहाज़ बनाए हैं। समुद्रों को सीना तक हमने चीर डाला है। अपनी सुरक्षा के लिए हमारे भयानक अस्त्र-शस्त्र मौज़ुद हैं। कोई भी काम हो मशीनों के द्वारा पल में समाप्त किया जा सकता है। विज्ञान के द्वारा हम चाँद, मंगल, वृहस्पति, बुध आदि ग्रहों पर भी अपने झंडे गाड़ आए हैं।

जिधर भी नज़र घुमाएँ विज्ञान की देन हमारे आस-पास नज़र आ जाएगी। वह चाहे फोन हो, कंप्यूटर हो, टीवी हो, गाड़िया हो या फिर कुछ और। इसके बिना जीवन अधूरा है। ये हर कदम पर हमारे लिए बहुपयोगी बन गया है।

कई बार अत्यधिक सुविधा भी कभी असुविधा का कारण बन सकती है। जहाँ एक ओर इसने हमें तमाम सुविधाएँ दी हैं, वहीं दूसरी ओर उसने हमारे लिए अनगिनत मुसीबतों को न्यौता भी दिया है। हमने इसके द्वारा अपने लिए मौत का सामान जुटाना आरंभ कर दिया है। इसके द्वारा हमने भयानक परमाणु अस्त्र-शस्त्र बनाएँ हैं जो हमारे लिए ही घातक है। इसके कई आविष्कार ऐसे हैं जो वातावरण को विषैला बना रहें हैं। हमारे जीवन पर इसके दुष्प्रभाव पड़ रहा है। अत: हमें चाहिए कि इसका प्रयोग मानवता की भलाई में करें न कि उसके विनाश के लिए। यह जहाँ हमारा सच्चा मित्र हैं वहीं शत्रु बनते इसे देर नहीं लगेगी।

Answered by ankushkumar14043
5

Answer:

i hope it help you

thanks for asking question

Explanation:

आज का मानव जीवन विज्ञापन की दुनिया में पूरी तरह घिरा हुआ हैं. इसके सकारात्मक और नकारात्मक प्रभाव स्पष्ट देखे जा सकता हैं. आज जीवन और युवा पीढ़ी पर विज्ञापनों का क्या प्रभाव पड़ता हैं. निबंध, भाषण, अनुच्छेद में हम विस्तार से समझने का प्रयास करेगे.

 

essay on Advertisement and our life in Hindi

विज्ञापन का अर्थ (Meaning of Advertising in Hindi): हम विज्ञापन और जीवन के बीच के सम्बन्ध को समझे इससे पूर्व हमें जानना होगा कि विज्ञापन का अर्थ क्या हैं. दरअसल यह एक प्रचार माध्यम है जो वस्तु या सेवा को अधिक से अधिक उपभोक्ताओं को आकर्षित करता हैं.

हम विज्ञापन के होड़ की ऐसी दुनिया में जी रहे हैं. जहाँ से घर से निकलने के बाद हमारे आकर्षण के पूरे बंदोबस्त किये होते हैं. बोर्ड, होर्डिंग, तस्वीर, बेनर की शक्ल में पूरा बाजार विज्ञापनों से अटा पड़ा नजर आता हैं.  

विज्ञापन के लिए अंग्रेजी शब्द Advertising का बहुतायत उपयोग होता हैं. जो लेटिन भाषा के एडवरटेरे से बना है जिसका आशय होता है दिमाग का आकर्षित होना. इसे सरल शब्दों में समझे तो यह वस्तु प्रचार का ऐसा सरल माध्यम है जिसके जरिये उपभोक्ताओं के मस्तिष्क को आकर्षित किया जाता हैं. हिंदी के दो शब्दों वि और ज्ञापन से विज्ञापन बना हैं. वि का अर्थ होता है विशेष जबकि ज्ञापन से आशय है सूचना अथवा ज्ञान. अर्थात किसी विशेष ज्ञान या जानकारी को देना विज्ञापन कहलाता हैं.

विज्ञापन का उद्देश्य – किसी उत्पाद अथवा ब्रांड के अधिकतम प्रसार और प्रचार के लिए जिस सार्वजनिक माध्यम का उपयोग किया जाता हैं. उसे हम विज्ञापन कहते हैं. इसका उद्देश्य सम्बन्धित वस्तु, उत्पाद सेवा का उपभोक्ताओं तक फैलाना होता हैं. इसके मूल में आर्थिक लाभ, व्यापार, ब्रांड व कम्पनी की लोकप्रियता में वृद्धि करना होता हैं.

विज्ञापनों का सामाजिक जीवन पर प्रभाव- विज्ञापन की मायावी दुनिया का मूल लक्ष्य सम्बन्धित सेवा को उसके उपभोक्ताओं तक पहुंचाना होना हैं. वस्तु की गुणवत्ता, दोष के इसका कोई सम्बन्ध नहीं होता हैं इस लिए कहा जाता है जो दीखता है वही बिकता हैं. आज लोग गुणवत्ता की परख को छोड़कर विज्ञापन की हस्ती के कथनानुसार ही खरीद करते नजर आ रहे हैं.

विज्ञापन ही बाजार की मांग का निर्धारण कर रहे हैं. आज के भड़कीले और चमक दमक वाले ऐड आम आदमी को मुर्ख बनाने की होड़ में लगे हैं. जो जितने अधिक लोगों को मूर्ख बना सकता हैं वही अधिक माल कमाता हैं खासकर अपरिपक्व बच्चों के दिमाग के साथ खेलना इन्हें बेहद पसंद होता हैं. आमतौर पर विज्ञापनों को इस तरह से तैयार किया जाता है जिससे महिला व बच्चों को अधिक आकर्षित किया जा सके.

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