विजयनगर साम्राज्य में मंदिरों की प्रमुख विशेषताओं का वर्णन कीजिए
Answers
Answer:
विजयनगर साम्राज्य पर शासन करने वाले प्रत्येक राजवंश ने हम्पी में अपनी छाप छोड़ी। वास्तुकला की विजयनगर शैली प्राकृतिक संसाधनों की उपलब्धता पर काफी निर्भर करती है, अर्थात् ग्रेनाइट, जो मुख्य रूप से संगम वंश के शासकों द्वारा उपयोग की जाने वाली सामग्री थी। ... हम्पी के सबसे महत्वपूर्ण मंदिरों में से एक विरुपाक्ष मंदिर है।
.
.
.
hope it helps.......:)
Explanation:
विजयनगर साम्राज्य कला की हर विधा का पोषक रहा है। संगीत, साहित्य व स्थापत्य सभी क्षेत्रों में इस शासन के दौरान उल्लेखनीय विकास हुआ। द्रविड़ कला के अंतर्गत गणना किये जाने के बावजूद यह कहा जा सकता है कि विजयनगर ने मंदिर वास्तुकला में कई नए तत्त्व जोड़े। इसे हम निम्नलिखित बिंदुओं के माध्यम से समझ सकते हैं-
विजयनगर दौर में एक नवीन मंडप चलन में आया, जिसे “कल्याण मंडप” कहा गया।
मुख्य मंदिरों के साथ सहायक मंदिरों की एक श्रृंखला को भी जोड़ा गया, जिसे ‘अम्मनशिरीन’ कहा गया।
विजयनगर के मंदिरों में इस्तेमाल हुए स्तंभ, संगीत का गुण रखते थे, इसलिये इन्हें संगीतात्मक स्तंभ भी कहा गया, जैसे- विजय विट्ठल मंदिर के स्तंभ।
निर्माण क्षेत्र का आकार बढ़ाने और वृहद् सभागारों के निर्माण को संभव बनाने के लिये स्तंभों का प्रचुरता से प्रयोग किया गया। एक हज़ार स्तंभों वाले मंडपों का निर्माण विजयनगर मंदिर कला का आदर्श स्वरूप था।
इन स्तंभों पर दान करने वाले जोड़े, राजा, रानी एवं विभिन्न आकार व माप के कल्पित पशु दर्शाए गए हैं।
यहाँ वास्तुकलात्मक निर्माण अलंकृत हुआ तथा स्तंभों का निर्माण इस प्रकार किया गया कि वे आलंकारिक दिखते थे।
यहाँ धर्मनिरपेक्ष भवनों में इंडो-इस्लामिक विशेषताएँ पाई गई हैं, जैसे- गुंबद एवं कमल का निर्माण।
हंपी शहर के ध्वंसावशेषों में अभी भी विजयनगर के सौन्दर्य एवं कलात्मक तत्त्वों को देखा जा सकता है। विट्ठल एवं हजारा राम मंदिर, रघुनाथ मंदिर, संगमेश्वर मंदिर आदि विजयनगर मंदिर कला के प्रमुख उदाहरण हैं।