वाक-जाल' में सन्धि होने पर रूप बनाया-
(क) वाध्जाल:
(ख)वाग्जाल:
(घ) वाक्जाल:
(ग) वाक्जाल:
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वाक-जाल' में सन्धि होने पर रूप बनाया-
(क) वाध्जाल:
(ख)वाग्जाल:
(घ) वाक्जाल:
(ग) वाक्जाल:
उत्तरम्-> (ख)वाग्जाल: |
‘झलां जशोsन्ते’-> पदान्त में झलों के स्थान में जश् आदेश हो| अर्थात झलों में वर्गों के प्रथम, द्वितीय, तृतीय तथा चतुर्थ वर्ण तथा श, ष, स और हकार आते हैं| जश् में वर्गों के तृतीय वर्ण हैं| वर्गीय वर्णों में अपने वर्ग का ही तृतीय वर्ण आदेश होता है| जैसे ‘वाक् + ईश:’ = वागीश:|
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