वृक्क की आंतरिक संरचना का वर्णन करें ?
Answers
Explanation:
मानव शरीर की उदरीय गुहा के पश्च भाग में रीढ के दोनों ओर दो वृृक्क स्थित होते हैं। ये बैगंनी रंग की रचनायें होती है जो आकार में बहुत बडी नहीं होती है। इन वृृृक्कों के पर टोपी के समान अधिवृक्क ग्रन्थियां नामक रचना पायी जाती हैं। ये वृक्क शरीर में रक्त को छानकर, रक्त की अशुद्वियों को मूत्र के रुप में शरीर से उत्सर्र्जित करने का कार्य करती हैं। वृक्कों का कार्य मात्र रक्त को छानकर मूत्र निमार्ण ही नही होता अपितु इनका कार्य शरीर में जल, शर्करा तथा खनिज लवणों आदि शरीरोपयोगी तत्वों का शरीर में समअनुपात बनाये रखना होता है। वृक्क शरीर में स्थित अनावश्यक तत्वों को बाहर निकालकर शरीर में समस्थिति (Homeostsis) बनाने का महत्वपूर्ण कार्य करते हैं।
वृक्क प्रतिक्षण क्रियाशील रहते हुए रक्त को छानने की क्रिया में लगे रहते हैं। ये वृक्क चयापचय क्रिया में उत्पन्न हुए उत्सर्जी पदार्थो को छानकर मूत्र का निमार्ण करते हैं। इसके साथ साथ वृक्क रक्त में उपस्थित अन्य हानिकारक पदार्थो को भी मूत्र के साथ शरीर से उत्सर्जित करते हैं। इन वृक्कों की कार्यकुशलता एवं कार्यक्षमता पर आहार विहार सीधा प्रभाव रखता है। आहार में उत्तेजक पदार्थ, मिर्च मसाले एवं मांसाहारी पदार्थो का प्रयोग करने से इन वृक्कों पर नकारात्मक प्रभाव पडता है। धूम्रपान, एल्कोहल तथा दवाईयों का अधिक सेवन के दुष्प्रभावों से शरीर को बचाने में वृक्काणुओं को अधिक कार्य करना पडता है इस कार्य में ये वृक्काणु नष्ट हो जाते हैं, जिससे वृक्कों की कार्य क्षमता कम हो जाती है। यदि इसके उपरान्त भी इन हानिकारक पदार्थो का प्रयोग बन्द नही किया जाता तब ये वृक्काणु अक्रियाशील होकर अपना कार्य बन्द कर देते हैं। यह अवस्था किडनी(Renalfailure) कहलाती है। जिसमें वृक्कों में रक्त निस्यन्दन की क्रिया बन्द हो जाती है।
Answer:
neerajsaini67890
Explanation:
Answer.....
with explain..
Mark brainlist.....