वे कौन सी क्रियाविधि है जिससे एड्स विषाणु संक्रमित व्यक्ति के प्रतिरक्षा तंत्र का ह्रास करता है।
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वे क्रियाविधि जिससे एड्स विषाणु संक्रमित व्यक्ति के प्रतिरक्षा तंत्र का ह्रास करता है निम्न प्रकार से है :
HIV विषाणु प्रतिरक्षा तंत्र की सहायक T- कोशिकाओं पर आक्रमण करता है। इसकी सतह पर उपस्थित Gp - 120 प्रोटीन सहायक T - कोशिका की सतह पर CD4 से चिपक जाता है और T - कोशिका में प्रवेश कर जाता है।
HIV में न्यूक्लिक अम्ल ssRNA होता है। कोशिका में एंजाइम RNA ट्रांसक्रिप्टेज की सहायता से यह डीएनए का निर्माण करता है, जो सरलता से T- कोशिका के डीएनए के साथ संयोजन कर लेता है । ऐसी स्थिति में एड्स के विषाणु पूरी तरह सुरक्षित हो जाते हैं। कोई भी दवा इनके विरूद्ध कार्य नहीं करती क्योंकि उन्हें मारने के लिए प्रयोग की गई दवा सहायक T- कोशिकाओं को भी नष्ट कर देती है।
कुछ वर्षों तक विषाणु लगभग शांत अवस्था में रहते हैं।
रोग के कोई लक्षण दिखाई नहीं पड़ते हैं , परंतु अंदर ही अंदर रोगी का शरीर क्षतिग्रस्त हो जाता है , क्योंकि HIV विषाणु सहायक T- कोशिका के बीच गुणन करके जब बाहर निकलते रहते हैं, तो T- कोशिका में छेद हो जाते हैं और ये नष्ट हो जाती है। T- कोशिकाओं की संख्या में कमी से प्रतिरक्षा तंत्र अत्यंत कमजोर होकर निष्क्रिय हो जाता है।
रोगी में सामान्य रोग के होने की संभावना अधिक हो जाती है तथा सामान्य रोग भी आसानी से उपचारित नहीं हो पाते हैं। यह अवस्था एड्स कहलाती है जो प्राणघातक होती है।
आशा है कि यह उत्तर आपकी अवश्य मदद करेगा।।।।
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Explanation:
HIV में न्यूक्लिक अम्ल ssRNA होता है। कोशिका में एंजाइम RNA ट्रांसक्रिप्टेज की सहायता से यह डीएनए का निर्माण करता है,