विकास के लिए साख की अपनी एक अनोखी भूमिका है इस कधन का न्यायसंगत तर्क दिजीए
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Explanation:
साख का सामन्य शब्दों में अर्थ है- ऋण, साख अर्थव्यवस्थ के लिए बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि इससे अर्थव्यवस्था में निवेश के लिये धन उपलब्ध होता है, जिससे उत्पादन में बढ़ोतरी होती है और अर्थव्यवस्था में सुधार होता है।
ग्रामीण क्षेत्रों में निवेश के लिये जो ऋण दिया जाता है उसे ग्रामीण साख कहा जाता है. ग्रामीण क्षेत्रों में कृषि, पशुपालन, भूमि विकास, ग्रामोद्योग आदि गतिविधियों क लिये ऋण की आवश्यकता होती है. पुराने समय में ग्रामीण क्षेत्रों में ऋण का एकमात्र स्रोत साहूकार थे, जो लागों को बहुत उच्च ब्याज दर पर उनकी ज़मीन जायदाद को गिरवी रखकर ऋण देते थे. अक्सर लोग उनकी उच्च ब्याज दर के कारण ऋण नही लौटा पाते थे और अपनी भूमि से भी हाथ धो बैठते थे. स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद साहूकारों की लूट को रोकने के लिये अनेक कानून बनाये गये. इसके अतिरिक्त सरकार ने ग्रामीण साख उपलब्ध कराने के लिये अनेक सस्थागत प्रबंध भी किये. इनमे व्यावसायिक बैंक, क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक, सहकारी बैंक, आदि शामिल हैं।
साख प्रबंधन
न्याय पंचायत अथवा ग्रामसभा स्तर पर एक कृषि केंद्र होना चाहिए जहां ग्रामीण कृषि क्षेत्र से संबंधित सभी कर्मचारी आवासीय सुविधाओं के साथ कार्यालय में कार्य कर सकें। यहां एक सहकारी समिति भी होनी चाहिए अथवा कृषि सहकारी समिति का विक्रय केंद्र होना चाहिए जिस पर कृषि मानकों के
अनुसार बीज, उर्वरक,कीटनाशक आदि की व्यवस्था कराई जाए, जो किसानों साथ ही, ऐसे यंत्र/उपकरण जिनकी किसानों को थोड़े समय के लिए आवश्यकता पड़ती है, वह उपलब्ध रहने चाहिए और निर्धारित किराए पर उन्हें उपलब्ध कराया जाना चाहिए। जैसे- निकाई, निराई, गुड़ाई, बुवाई अथवा कीटनाशकों के छिड़काव से संबंधित यंत्र अथवा कीमती यंत्र जिन्हें किसान व्यक्तिगत आय से खरीदने में असमर्थ है, आदि संभव हैं तो ट्रैक्टर, थ्रेशर, कंबाइन हार्वेस्टर आदि की सुविधाएं भी किराए पर उपलब्ध होनी चाहिए ताकि लघु एवं सीमांत वर्ग के किसान बिना किसी बाधा के खेती कर सकें।