विकास के नाम पर प्रकृति से छेड़छाड़ पर वाद विवाद
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विकास के नाम पर प्रकृति से छेड़छाड़ हो रही है यह बात बिलकुल सत्य है |
मनुष्य ने अपने लाभ के लिए और अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए प्रकृति से छेड़छाड़ कर रहा है | प्रकृति को नुकसान पहुंचा रहा है | पेड़ो को काट रहा है , पर्यावरण को दूषित कर रहा है | शहरी करण बढ़ता ही जा रहा है , लोग पेड़ो को काट कर घर बना रहे है , बड़ी- बड़ी इमारतें बना रहे है और व्यापार कर रहे है , जिसके कारण हमारी धरती दूषित हो रही है|
मनुष्य को इस अहसास नहीं है , जब धरती बचेगी, तभी मनुष्य बचेगा। | मनुष्य करता-करता जा रहा है | भूकंप से बड़े पैमाने पर होने वाला विनाश प्रकृति से बढ़ती छेड़छाड़ और खतरे की चेतावनियों की अनदेखी का नतीजा है। प्रकृति से छेड़छाड़ का सर्दी और गर्मी का संतुलन बिगड़ गया है |
अब तो समय पर बारिश भी नहीं होती अब इसी कारण फसल को भी नुकसान हो रहा है | बिन बारिश होते ही यह मिट्टी अपने साथ आसपास के इलाके को समेटते हुए नीचे गिरने लगती है। जिससे इलाके को बंजर बन जाता है | मनुष्य को अब समझना होगा की प्रकृति से छेड़छाड़ करने से हमारा जीवन खतरे में है , और हमें प्रकृति को नुकसान नहीं पहुँचना चाहिए |