Chinese, asked by rsanehi251, 3 months ago

विकास और शिक्षा और आवश्यक बुनियादी ढांचे की कमी जैसे कारक कारक ना केवल अल्पल विकास के कारण हैं बल्कि इसका परिणाम भी है क्या आप इस कथन से समर्थ हैं अपने उत्तर की प्रति कीजिए​

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Answered by varunkapil198181
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Answer:

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Explanation:

ढांचा परियोजनाओं को निष्पादित करने के तरीकों में महत्वपूर्ण सुधार लाने की अवधारणा के तहत आज ‘नेशनल प्रोग्राम एंड प्रोजेक्ट मैनेजमेंट पॉलिसी फ्रेमवर्क’ (एनपीएमपीएफ) का शुभारंभ किया।

केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग और सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम मंत्री नितिन गडकरी ने भारत में कार्यक्रम और परियोजना प्रबंधन के अभ्यास पर एक पुस्तक इंडियन इन्फ्रास्ट्रक्चर बॉडी ऑफ नॉलेज (आईएनबीओके) का अनावरण और इस प्रारूप का शुभारंभ किया। इस अवसर पर, केन्द्रीय मंत्री पीयूष गोयल, नीति आयोग के मुख्य कार्यकारी अधिकारी अमिताभ कांत और क्यूसीआई के अध्यक्ष आदिल ज़ैनुलभाई के अलावा बुनियादी ढांचा क्षेत्र, वैश्विक परियोजना प्रबंधन कंपनी, एल एंड टी इंडिया आदि जैसी बड़ी अनुबंधित कंपनियों, सार्वजनिक क्षेत्र की इकाईयों, वैश्विक और भारतीय विकास बैंकों के गणमान्य भी इस कार्यक्रम में उपस्थित थे।

इस पहल की सराहना करते हुए, केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने कहा कि एनपीएमपीएफ एक मजबूत भारत के निर्माण के लिए प्रधानमंत्री के आत्मनिर्भर भारत के दृष्टिकोण को साकार करने में सहायता प्रदान करेगा, जिसमें हमें अच्छी गुणवत्ता वाले बुनियादी ढांचे की आवश्यकता होगी; हमें पर्यावरण और पारिस्थितिकी से समझौता किए बिना लागत और अपशिष्ट पदार्थों को कम करना होगा। हमें परियोजनाओं के समयबद्ध और परिणाम-उन्मुख वितरण को सुनिश्चित करने की भी आवश्यकता है।

भारतमाला और सागरमाला जैसी व्यापक परियोजनाओं के लिए पहले से ही उपयोग में लाए जा रहे कार्यक्रम और परियोजना प्रबंधन साधनों और तकनीकों के महत्व को पहचानते हुए उन्होंने कहा कि हाईव्रिड वार्षिकी मॉडल के साथ अभिनव वित्तपोषण को शामिल करने के लिए ऐसी तकनीकों और प्रथाओं का उपयोग और इन्हें अपनाना पहले से ही जारी रहा है।

मंत्री महोदय ने एक त्वरित निर्णय प्रक्रिया के साथ-साथ जवाबदेही, निगरानी, पारदर्शिता और भ्रष्टाचार मुक्त प्रणाली पर भी जोर दिया। उन्होंने कहा कि हमें जमीनी स्तर पर समस्याओं का पता लगाने, तकनीकी और वित्तीय योग्यता पर काम करने और प्रदर्शन का मूल्याँकन सुनिश्चित करने की भी आवश्यकता है। उन्होंने उद्योग के सभी हितधारकों के लिए एक सामान्य संदर्भ के रूप में सेवा करने के लिए आईएनबीओके के महत्व की सराहना की।

केंद्रीय रेल, वाणिज्य और उद्योग एवं उपभोक्ता मामले मंत्री पीयूष गोयल ने राष्ट्रीय विकास और जीवन की गुणवत्ता में सुधार के लिए बुनियादी ढांचे के निर्माण के महत्व पर बल दिया। उन्होंने कहा कि भारतीय रेलवे ने 50 लाख करोड़ रुपये के निवेश और 2030 तक इससे अधिक के निवेश के साथ शानदार सुधारों को अपनाते हुए पाईपलाईन में मौजूद मेगा परियोजनाओं की पहल की है। यह पहल उचित जोखिम-साझाकरण और मजबूत परियोजना शासन स्थापित करने के माध्यम से सार्वजनिक-निजी भागीदारियों को सक्षम बनाते हुए खरीद में अधिक पारदर्शिता लाने के लिए सबसे उपयुक्त है।’ उन्होंने कहा कि आईएनबीओके की गहन समझ के साथ सक्षम और प्रमाणित पेशेवर भारत के बुनियादी ढांचे के परिदृश्य को बदलने में सक्षम होंगे। उन्होंने कहा कि निगरानी और जवाबदेही से परियोजना की भविष्य और सफलता तय होगी।

नीति आयोग के सीईओ अमिताभ कांत ने उद्घाटन भाषण का शुभारंभ करते हुए भारत में बुनियादी ढांचे के लिए चुनौतियों के महत्व और उन पर ध्यान देने में कार्यक्रम और परियोजना प्रबंधन के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि इन प्रथाओं को अपनाने से कई परियोजनाओं के समन्वय के माध्यम से आर्थिक उद्देश्यों को प्राप्त करने में मदद मिलेगी।

भारत को अपनी आर्थिक वृद्धि को बनाए रखने के लिए बुनियादी ढांचे के विकास के लिए 2040 तक लगभग 4.5 ट्रिलियन डॉलर के निवेश की आवश्यकता होगी। हालांकि, बुनियादी ढांचे के विकास में चुनौतियां जो अक्सर परियोजनाओं के सुचारू क्रियान्वयन में बाधा बनती हैं, नुकसानदायक हो सकती हैं। इसलिए, सरकार द्वारा कई पहल के साथ और बुनियादी ढांचा परियोजनाओं के प्रदर्शन को बेहतर बनाने की दिशा में नीति आयोग द्वारा सुझाए गए दिशानिर्देशों के साथ, एक राष्ट्रीय कार्यक्रम और परियोजना प्रबंधन नीति ढांचे को तैयार करने के लिए एक टास्क फोर्स का भी गठन किया गया था।

इस रूपरेखा का उद्देश्य एक कार्य योजना के साथ भारत में प्रबंधित व्यापक बुनियादी ढाँचे की परियोजनाओं में महत्वपूर्ण सुधारों को लाना है:

1. बुनियादी विकास के लिए एक कार्यक्रम और परियोजना प्रबंधन दृष्टिकोण अपनाएं

2. कार्यक्रम और परियोजना प्रबंधन के कार्य को संस्थागत बनाना और प्रोत्साहन देना एवं ऐसे पेशेवरों का एक कार्यबल बनाना,

3. पेशेवरों की संस्थागत क्षमता और क्षमता में वृद्धि

भारतीय गुणवत्ता परिषद के अध्यक्ष आदिल ज़ैनुलभाई ने सभी अतिथियों को धन्यवाद प्रस्ताव के साथ समापन संबोधन देते हुए तैयार रूपरेखा पर कुछ विवरण दिए। उन्होंने बताया कि रूपरेखा के तहत प्रमाणन प्रणाली पेशेवरों की क्षमता के लिए परियोजनाओं के पैमाने और जटिलता को जोड़ती है। निरंतर व्यावसायिक विकास के साथ प्रत्येक स्तर पर एक स्व-संचालित शिक्षण प्रणाली, कठिन और व्यापक परीक्षा, इस प्रारूप के स्तंभों के रूप में कार्य करेंगे।

भविष्य में, आईएनबीओके को और विस्तारित करने की भी अवधारणा की जाती है, जो बुनियादी ढांचे के लिए प्रत्येक क्षेत्र या उद्योग के लिए विशिष्ट होगी, उदाहरण के लिए, रोडवेज के लिए एक समर्पित विस्तार जो इस क्षेत्र के लिए विशिष्ट मुद्दों और सर्वोत्तम प्रथाओं को अपनाता है।

अंत में, यह पहल वर्तमान में योजान्वित और कार्यान्वित होने वाली परियोजनाओं पर प्रभाव डालने और उनकी गति बनाए रखने को सुनिश्चित करने के साथ-साथ कार्यक्रम और परियोजना प्रबंधन मिशन की महत्वपूर्ण परियोजनाओं के लिए कैप्सूल प्रशिक्षण प्रदान करने हेतु जागरूकता पैदा करने के लिए एक क्षमता विकास कार्यक्रम और अभ्यास प्रोत्साहन को अपनाने के लिए आवश्यक है।

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