Psychology, asked by inmallikranway4516, 3 months ago

विकास से आपका क्या तात्पर्य है? बाह्यवालो और किशोरावस्था में शरीरिक और सामाजिक विकास की व्याख्या कीजिये।​

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Answered by Shreyash12874
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बाल्यावस्था जीवनकालिक विकास की महत्वपूर्ण अवस्था है| इस अवस्था को दो भागों में विभाजित किया गया है- पूर्व बाल्यावस्था एवं उत्तर बाल्यावस्था आरंभिक २ से 6 वर्ष की आयु पूर्व बाल्यावस्था कहलाती है जिसमें बच्चे की आत्मनिर्भरता में उत्तरोत्तर वृद्धि होती है| यह अवधि पाठशाला में प्रवेश की होती है| इसलिए इसे ‘स्कूल पूर्व आयु’ भी कहा जाता है और ‘टोली पूर्व आयु’ भी कहा जाता है| इस अवधि में बालक सामाजिक व्यवहारों के आधारभूत तत्वों को सीखना आरंभ करता है| उत्तर बाल्यावस्था का आरंभ 6 वर्ष की आयु से होता है तथा वय:संधि के प्रारंभ अर्थात् 12 वर्ष तक चलता रहता है| बालक स्कूल में प्रवेश पा चूका रहता है| इस अवस्था को ‘टोली की अवस्था’ भी कहा जाता है| इसे ‘प्रारम्भिक स्कूल अवस्था’ भी कहा जाता ही| अतः जीवन के अनेक पक्षों के विकास की दृष्टि से यह आयु अत्यंत महत्व रखती है| प्रस्तुत अध्याय के अंतर्गत बाल्यावस्था में होने वाले सामाजिक, सांवेगिक एवं व्यक्तित्व विकास संरूपों का क्रमशः वर्णन किया गया है|

इस अध्याय के प्रथम अनुभाग में बाल्यावस्था में होने वाले सामाजिक विकास का वर्णन किया गया है| इसके अतर्गत पूर्व तथा उत्तर बाल्यावस्था में सामाजिक विकास का क्या संरूप होता है? इस अवधि में कौन-कौन से सामाजिक व्यवहार परिलक्षित होते हैं? तथा सामाजिक व्यवहारों के विकास में पारिवारिक कारकों की क्या भूमिका होती है एवं अन्य परिवेशीय कारकों की भूमिका कितनी महत्वपूर्ण होती है? इन प्रश्नों की समीक्षा इस भाग के अंतर्गत किया गया है|

अध्याय के दुसरे अनुभाग में, बालक में होने वाले संवेगात्मक विकास का वर्णन किया गया है| इसके अंतर्गत यह जानने का प्रयास किया गया है कि पूर्व तथा उत्तर बाल्यावस्था में सांवेगिक विकास का संरूप क्या होता है? सामान्यतः कौन-कौन से संवेग अभिव्यक्त होते हैं? तथा सांवेगिक विकास के निर्धारण में किन कारकों की भूमिका महत्वपूर्ण है?

अध्याय के अंतिम अनुभाग में बाल्यावस्था में व्यक्तित्व विकास का विवेचन किया गया हैं| इसके अंतर्गत विकास से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण प्रश्नों जैसे व्यक्तित्व का संरूप क्या है? स्व तथा शीलगुणों का विकास किस प्रकार होता है? व्यक्तित्व की कौन-कौन सी विशेषतायें मुख्य रूप से बाल्यावस्था में परिलक्षित होती है? व्यक्तित्व के विकास में किन कारकों की भूमिका महत्वपूर्ण होती है? की समीक्षा की गयी है| अंत में, व्यक्तित्व विकास के स्वरुप की ब्याख्या प्रमुख सैद्धान्तिक उपागमों के आधार पर की गई है|

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