Hindi, asked by rithikraghav1744, 1 year ago

विकास शील bharभारत पर हिंदी मैं निबन्ध

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Answered by rahulvenkatesh987654
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Sorry i don't know hindi

Answered by babusinghrathore7
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विकासशील भारत

भारत प्राचीन काल में सोने की चिड़िया कहलाता था। विदेशी व्यापारी यहां व्यापार करना पंसद करते थें। प्राचीन काल से ही यूरोपीय और अरबी व्यापारी भारत से व्यापार कर रहे थे। जब मानव सभ्यता का इतना विकास नहीं हुआ था।

भारत की इसी समृद्धि ने विदेशियों को भारत आने के लिये ललचाया और यहां आकर उन्होने भारत में साम्राज्य भी स्थापित कर लिये और वों हमेशा के लिये भारत के होकर रह गये।

अग्रेज भारत आए और यहां साम्राज्य स्थापित करने बाद वे यहां से धन अपने देश ले गए। ये पूर्व आये अन्य आक्रान्ताओं से इस अर्थ में भिन्न थे कि उन्होने भारत को नहीं अपनाया और सिर्फ धन लूटकर ले जाना उनका उद्धेश्य रहा।

स्वतन्त्रता प्राप्ति के बाद भारत ने फिर से आर्थिक विकास प्रारम्भ किया। स्वतन्त्रता प्राप्ति से 1991 की अवधि के दौरान नियोजन की रणनीति में सामाजिक न्याय के साथ आर्थिक संवृद्धि की दर को तीव्र गति प्रदान करने के लिये उत्पादन की प्रक्रिया के ढाचें में मिश्रित अर्थव्यवस्था को अपनाया गया। जिसमें सार्वजनिक क्षैत्र की सक्रिय भागीदारी तथा निजी क्षैत्र की नियमित नियंत्रित भागीदारी पर बल दिया गया। इसमें एकाधिकार की प्रवृतियों क निवारण हेतु एमआरटीपी जैसे प्रतिबंधात्मक कानूनों को अपनाया गया एवं प्र्रत्येक व्यक्ति के जीवन की आवश्यकताओं तक पहूच सुनिश्चित करने के लिये सार्वजनिक वितरण प्रणाली जैसी विधियो को लागू किया गया। इस काल में राज्य ने हस्तक्षेपवादी राज्य की अवधारणा को अपनाते हुए महालनोबिस रणनीति के माध्यम से भारी उद्योगो पर सार्वजनिक स्वामित्व के साथ साथ छोटे पेमाने के उद्योगो को भी संरक्षण दिया गया। तथा इनकी आवश्यकताओं की पूर्ति के लिये वित्तीय संस्थाओं की स्थापना व हथकरघा बोर्ड रेशम बोर्ड आयात निर्यात प्रोत्साहन जैसे उपाय अपनाये गए। आंतरिक क्षैत्र में घरेलू उद्योगो को विदेशी क्षैत्र की प्रतिस्पर्धा से सुरक्षा प्रदान करने के लिये आन्तरिक व्यापार रणनीति को अपनाया गया। सरकार की मौद्रिक तथा राजकोषीय नीतियों का एकमात्र उद्धेश्य बचत तथा निवेश को प्रोत्साहन मानकर इसके लिये बचतकर्ताओं को करों मंे छूट तथा बैकिग शाखाओं के विस्तार की योजना बनाई गई। विदेशी पूंजी पर प्रतिबंध लगायेे गए। जिसके लिये फेरा कानून लागू किया गया।  

1991 में राजकोषीय घाटे भुगतान शेष का संकट विदेशी विनिमय के भंडारों में गिरावट कीमतों में वृद्धि तथा सार्वजनिक क्षैत्र के उद्यमों के निराशाजनक प्रदर्शन के कारण नियोजन को नई दिशा प्रदान की गई। जिसमें हुए ठौस परिवर्तनों को आर्थिक सुधारों का नाम दिया गया। इसके अंतगर्त उदारीकरण निजीकरण वैश्वीकरण की नीतियों पर विकास की नियोजन रणनीति का नियोजित किया गया।  

इस प्रकार आर्थिक विकास के साथ साथ आर्थिक स्वतन्त्रता के माध्यम से देश का चहुमुखी विकास लक्ष्य रखा गया। इसमें धारणीय विकास के आधार पर निर्धारित की गई संवृद्धि  भावी पीढियों तक निरंतर रखने के लिये पर्यावरण विकास प्रदूषण रोकथाम तथा प्राकृतिक संसाधनों संरक्षण पर बल देकर आज हमारा भारत विश्व में सबसे तेज आर्थिक विकास दर के साथ विकास कर रहा है। और विश्वास है कि यह जल्दी ही विश्व की छठी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था से आगे आकर पहली दो अर्थव्यवस्थाओं शामिल होगा।

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