विकास व अन्य टीमें रोगतान इन टेक्नोलॉजी
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सीमाएँ धुँधली हो गई हैं। ऐसे आधुनिक युग में मनुष्य का जीवन-परिवर्तन शस्त्र से करने की ठान ली गई तो सर्वनाश ही निश्चित होगा। विचार व शब्द इनके माध्यम से परिवर्तन घटित करना यही मानव-क्रान्ति का स्वरूप मानना होगा। यह दृष्टि विनोबा ने विशद की। इसके लिये प्रत्यक्ष अनुष्ठान भी जो उन्होंने चलाया, उसे अभूतपूर्व ही कहना होगा स्व-भाषा मनुष्य के हृदय को स्पर्श करती है। सारा देश एकात्म तथा एकरूप हो इस हेतु से विनोबा ने भारत में प्रचलित प्रमुख बाईस भाषाएँ सीखी। किसी भी प्रान्त का कार्यकर्ता उनके पास पहुँच जाए, तो वे उसके साथ उसकी मातृभाषा में बोलते थे
आधुनिक विकास की विडम्बना करने के लिये उन्होंने लंदन में एक मजे का सत्याग्रह किया था। ‘थ्रो अवे इकोनॉमी’ के प्रतीक फेंके गए, निरुपयोगी करार दिये सामान के-पुरानी मोटरें, यन्त्र-सामग्री इत्यादि के प्रचण्ड पर्वत-प्राय टीले पर चढ़कर उन्होंने विनाशक तंत्र-विज्ञान का विरोध प्रकट किया था।
अॉस्ट्रिया के विक्टर शॉबर्जर आधुनिक विज्ञान की दृष्टि से अनपढ़, अज्ञानी व्यक्ति थे। परन्तु प्रकृति से उन्होंने जो शिक्षण पाया और उसके आधार पर प्रत्यक्ष प्रयोग करके जो नया तंत्र-विज्ञान निर्माण किया वह अद्भुत कोटि का ही था। सृष्टि के सभी आविष्कारों का वे निकट से अध्ययन करते और फिर शिष्य बनकर प्रकृति का अनुकरण करते। विशेष रूप से जल-जमीन और जंगल इनका प्रेम उन्हें नई दृष्टि दे सका। बड़े शहरों में जल-आपूर्ति का कार्य लोहे के या सीमेंट के पाईप करते हैं। शाबर्जर का कहना था कि यह स्वास्थ्य के लिये हानिकारक है। ताँबे की या लकड़ी की पाइप में प्रवाहित होने वाला पानी सबसे अधिक आरोग्य कारक होता है यह उन्होंने सिद्ध करके दिखाया।
प्रदूषित गन्दा पानी लेकर उन्होंने उसे पहाड़ के झरने जैसा गुण सम्पन्न, शुद्ध बनाकर दिया। नैसर्गिक जल-स्रोत जिन प्रक्रियाओं से गुजरता है और अपने परिपृथकता का ‘वर्तुल’ पूरा करता है उसी का अनुकरण अपनी प्रयोगशाला में उन्होंने किया था। कार्बन डाई ऑक्साइड, कुछ क्षार और खनिज धातुओं को मिलाकर बना मिश्रण एक अण्डे के आकार के पात्र में डालकर उस गन्दे पानी के साथ उसे ‘हाइपर बोलक सेंटिपेटल’ गति दी। यह पानी पहाड़ी झरने जैसा ही है यह लेबोरेटरी में सिद्ध हो गया। सब जगह उनकी ‘जल जादूगर’ रूप में प्रसिद्धि हो गई।