विकासशील अर्थव्यवस्था में मानवीय पूँजी के महत्व को स्पष्ट कीजिए।
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मानवीय पूंजी से तात्पर्य है-शिक्षा, स्वास्थ्य, सामाजिक सुरक्षा एवं समाज कल्याण की सेवाओं में किया विनियोग । प्रो॰ साइमन कुजनेट्स के अनुसार मुख्य पूंजी स्टाक व्यक्तियों को प्रशिक्षण, चरित्र एवं कार्यकुशलता है । इसमें किये गये विनियोग से श्रम की कार्यकुशलता में वृद्धि होती है ।
विकासशील अर्थव्यवस्था में मानवीय पूँजी के महत्व को स्पष्ट कीजिए।
विकासशील देशों के लिए मानव पूंजी का अत्यधिक महत्व है। विकासशील देशों में किसी भी तरह की नियोजित आर्थिक विकास की प्रक्रिया के अंतर्गत मानव पूंजी के विकास पर समुचित ध्यान नहीं दिया जाता। इसी कारण उनकी विकास गति प्रभावित होती है।
किसी विकासशील देश में विकास के लिए मानव पूंजी अत्याधिक महत्वपूर्ण है। मानव पूंजी ही उस देश का सबसे मूल्यवान मानव संसाधन होता है। मानव संसाधन के रूप में लोग जितने अधिक कार्य कुशल होंगे, शिक्षित होंगे, प्रशिक्षित होंगे, रोजगारोन्मुख होंगे, उस देश की विकास गति उतनी ही अधिक तीव्रता से होगी। अकुशल मानव पूंजी से विकास गति प्रभावित होती है।
इसीलिए विकासशील देशों में विकास को पर्याप्त विकास देने के लिए मानव पूंजी का शिक्षित, कुशल एवं प्रशिक्षित होना आवश्यक है, तभी वह देश तेज गति से विकास करेगा।
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