विकासशील देशों में नगरीय बस्तियों की समस्या 150 शब्दों में दीजिए
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लंका के सांसद ,पूर्व कृषि मंत्री और पीपल्स लिबरेशन फ्रंट के पोलित ब्यूरो के सदस्य विमेल रतनाइका ने कहा कि विकासशील देशों की आर्थिक व समाजिक समस्याओं के हल के लिए मार्क्सवाद आज भी पूरी तरह सार्थक है। पूंजीवादी प्रबंधों की तरफ से थोपे जा रहे शोषण सिस्टम को सिर्फ मार्क्सवादी फलसफा ही समाप्त कर सकता है। साथी रतनाइक अमृतसर दौरे के दौरान स्थानीय भाकपा की ग्रामीण शाखा के कार्यालय में मीडिया के साथ बातचीत कर रहे थे।
रतनाइका ने कहा कि भारत और श्री लंका दोनों की समस्याएं एक जैसी ही हैं। दोनों देशों के हाकिमों की गलत नीतियों के कारण यह देश गरीबी, बेरोजगारी और भ्रष्टाचार जैसी समस्याओं से जूझ रहा है। उन्होंने कहा कि पीपल्स लिबरेशन फ्रंट की स्थापना वर्ष 1955 में की गई थी। यह उनकी पार्टी उन्होंने कहा कि विकास शील देशों की बहुत सारी सरकारें कारपोरेट व बहुराष्ट्रीय कंपनियों को गुप्त समझौतों के तरह अपना माल बेचने के लिए मदद करती हैं। उन्होंने कहा कि वह 22 वर्षो से वाम आंदोलन के साथ जुड़े हैं और एक बार केंद्रीय मंत्री भी रह चुके हैं। एक सवाल के जवाब ने उन्होंने कहा कि भारत में सिर्फ कम्यूनिस्ट ही कमजोर नहीं हुए बल्कि 60 वर्षो से अधिक सत्ता में बनी रहने वाली काग्रेस पार्टी भी हाशिए पर चली गई है। अमृतसर दौरे के दौरान वह श्री हरिमंदिर साहिब, दुग्र्याणा तीर्थ और जलियांवाला बाग भी गए। इस अवसर पर भाकपा के नेता बलविंदर सिंह दुधाला, चंडीगढ़ बार एसोसिएशन के सचिव हरचंद बाठ, किसान नेता बलकार सिंह , एडवोकेट सुलखन सिंह और क्रांति कुमार आदि भी मौजूद थे।