वृक्षों को किसने रचा है
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सारनाथ में जिस बोधिवृक्ष के दर्शन करने और उसके पत्तों को छू कर आती हुई हवाओं के स्पर्श को महसूस करने प्रतिदिन हजारों लोग आते हैं, वह अपनी पीढ़ी का चौथा पेड़ है। बुद्ध ने जिस वृक्ष के नीचे ज्ञान प्राप्त किया था, उस बोधिवृक्ष को पिछले करीब ढाई हजार साल में तीन बार नष्ट करने का प्रयास किया गया, लेकिन यह कोशिश नाकाम रही। बार बार की उस कोशिश के बावजूद पीपल का वह पेड़ नया अवतार लेता गया, यों भी कह सकते हैं कि बना रहा। मौजूदा बोधिवृक्ष अपनी पीढ़ी का चौथा वृक्ष है। यह 134 साल पुराना है।
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जब पहली बार नष्ट किया गया बोधिवृक्ष
बोधि वृक्ष2 of 5
बोधि वृक्ष
सबसे पहले सम्राट अशोक की एक रानी तिष्यरक्षिता ने चुपचाप बोधिवृक्ष को उस समय नष्ट कराने की कोशिश की जब सम्राट दूर प्रदेशों की यात्रा पर गए हुए थे। लेकिन कुछ ही वर्षों बाद उसकी जड़ों से एक नया वृक्ष उग आया। यह दूसरी पीढ़ी का वृक्ष था और यह लगभग 800 सालों तक मौजूद रहा।
बंगाल से आया था बोधि वृक्ष का दूसरा शत्रु
महात्मा बुद्ध3 of 5
महात्मा बुद्ध
दूसरी बार वृक्ष को बंगाल के नरेश शशांक (सन् 602-620 ई०) ने उखड़वाने का प्रयास किया। वह बौद्ध धर्म का कट्टर शत्रु था। इस कोशिश में असफल रहा तो उसने वृक्ष को कटवाकर इसकी जड़ों में आग लगवा दी। लेकिन कुछ साल बाद इसी जड़ से तीसरी पीढ़ी का बोधिवृक्ष निकला। यह लगभग 1250 साल तक मौजूद रहा।
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तीसरी बार इस तरह नष्ट हुआ बोधिवृक्ष
बोधि वृक्ष लंका4 of 5
बोधि वृक्ष लंका
सन् 1876 में यह वृक्ष एक प्राकृतिक आपदा का शिकार होकर नष्ट हो गया। तब लार्ड कनिंघम ने सन् 1880 में श्रीलंका के अनुराधापुर बोध गया में पुनः स्थापित कराया जो कि इस पीढ़ी का अगला बोधिवृक्ष है।
इसलिए श्रीलंका से लाया गया बोधिवृक्ष
बोधि वृक्ष5 of 5
बोधि वृक्ष
उल्लेखनीय है कि सम्राट अशोक ने अपने पुत्र महेन्द्र और पुत्री संघमित्रा को पहले बोधिवृक्ष की टहनियों को देकर श्रीलंका में धर्मप्रचार के लि ए भेजा था। उन टहनियों से उगा और पल्लवित विकसित हुआ बोधिवृक्ष आज भी श्रीलंका के अनुराधापुरम में मौजूद है। ऐतिहासिक दृष्टि से यह अब तक का ज्ञात सबसे प्राचीन वृक्ष लगभग 2250 वर्ष पुराना है।
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bodhi vriksha mahatma buddha peepal tree
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Answer:
वृक्ष का सामान्य अर्थ ऐसे पौधे से होता है जिसमें शाखाएँ निकली हों, जो कम से कम दो-वर्ष तक जीवित रहे, जिससे लकड़ी प्राप्त हो।वृक्ष की एक जड़ होती है जो प्रायः ज़मीन के अन्दर होती है, तथा जड़ से निकलकर तना तथा पत्तियां हवा में रहते हैं। यह प्रदूषण कम करने में कारगर सिद्ध हुआ है। पर लकड़ियो तथा ज़मीन की आवश्यकताओं के कारण लोग इसे काटते जा रहे है
pls follow me and give a lot of thanks to the answer