वृक्षो नैव अत्ति रे स्वकीयं फलम्, सर्वम् हि अंगम् तस्य लोकहितार्थम्। जनाः न स्मरन्ति तस्य उपकारम्, बहुधा कुर्वन्ति वृक्षच्छेदनम्।।
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मुझे नहीं आ रहा गोश्त का मतलब क्या अच्छे से भेजो ना प्लीज सॉरी मैं और कुछ आंसर बोल सकता हूं लेकिन यह नहीं बोल सकता ज्ञानी बाबा ग्रुप से नेवर का मतलब क्या होता है बाबा
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