Hindi, asked by satharva469, 10 months ago

वृक्षारोपण पर चित्र लेखन​

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Answered by manojkumardhosi
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Explanation:

प्रस्तावना:- हमारे देश भारत की संस्कृति एवं सभ्यता वनों में ही पल्लवित तथा विकसित हुई है यह एक तरह से मानव का जीवन सहचर है वृक्षारोपण से प्रकृति का संतुलन बना रहता है वृक्ष अगर ना हो तो सरोवर (नदियां )में ना ही जल से भरी रहेंगी और ना ही सरिता ही कल कल ध्वनि से प्रभावित होंगी वृक्षों की जड़ों से वर्षा ऋतु का जल धरती के अंक में पोहचता है यही जल स्त्रोतों में गमन करके हमें अपर जल राशि प्रदान करता है वृक्षारोपण मानव समाज का सांस्कृतिक दायित्व भी है क्योंकि वृक्षारोपण हमारे जीवन को सुखी संतुलित बनाए रखता है वृक्षारोपण हमारे जीवन में राहत और सुखचैन प्रदान करता है.

Answered by Sujal977
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हमारे भारत देश में जहां वृक्षारोपण का कार्य होता है वही इन्हें पूजा भी जाता है कई ऐसे वृक्ष है,जिन्हें हमारे हिंदू धर्म में ईश्वर का निवास स्थान माना जाता है जैसे नीम ,पीपल ,आंवला, बरगद आदी को शास्त्रों के अनुसार पूजनीय कहलाते है और साथ ही धर्म शास्त्रों में सभी तरह से वृक्ष प्रकृति के सभी तत्वों की विवेचना करते हैं जिन वृक्ष की हम पूजा करते है वो औषधीय गुणों का भंडार भी होते हैं जो हमारी सेहत को बरकरार रखने में मददगार सिद्ध होते है।आदिकाल में वृक्ष से ही मनुष्य की भोजन की पूर्ति होती थी ,वृक्ष के आसपास रहने से जीवन में मानसिक संतुलन ओर संतुष्टि मिलती है गीता में भगवान श्री कृष्ण कहते हैं

” मूलतः ब्रह्मा रूपाय मध्यतो विष्णु रुपिनः

अग्रतः शिव रूपाय अश्वव्याय नमो नमः.”

अर्थात इसके मूल रूप में ब्रह्मा मध्य में विष्णु ओर अग्र भाग में शिव का वास होता है इसी कारण अश्व्यय नामधारी वृक्ष को नमन किया जाता है।

वृक्षारोपण पर निबंध 1

वनों से लाभ

वनों से हमे भवन निर्माण की सामग्री मिलती है औषधीय ,जड़ी बूटियां, गोंद,घास,तथा जानवरों का चारा भी वनों से ही प्राप्त होता है।

वन तापमान को सामान्य बनाने में सहायक एवं भूमि को बंजर होने से रोकता है वनों से लकड़ी ,कागज,फर्नीचर, दवाईया,सभी के लिए हम वनों पर ही निर्भर है ।वन हमे दूषित वायु को ग्रहण करके शुद्ध एवं जीवन दायक वायु प्रदान करता है जितनी वायु और जल जरूरी है उतना ही आवश्यक वृक्ष होते हैं इसलिए वनों के साथ ही वृक्षारोपण सभी जगह करना जरूरी है और कई तरह के लाभ देने वाले वनों की रक्षा करना हमारा कर्तव्य.

वनों के कटने से कई तरह की हानियां.

आज मानव अपनी भौतिक प्रगति की तरफ आतूर है वह अपने स्वार्थ को पूरा करने के लिए बेधड़क वृक्षों की कटाई कर रहा है ओधोगिक प्रतिस्पर्धा और जनसंख्या के चलते बनो का क्षेत्रफल प्रतिदिन घटता जा रहा है एक अनुमान के अनुसार एक करोड़ हेक्टेयर इलाके के वन काटे जाते हैं अकेले भारत में ही 10 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में फैले बनो को काटा जा रहा है वृक्ष के कटने से पक्षियों का चहचहाना भी कम होता जा रहा है पक्षी प्राकृतिक संतुलन स्थिर रखने में प्रमुख कारक है परंतु वृक्षों की कटाई से तो वो भी अब कम ही दिखने लगे हैं अगर इसी तरह से वृक्ष की कटाई होती रही तो इसके अस्तित्व पर ही एक प्रश्न चिन्ह लग जाएगा।

वृक्षारोपण कार्यक्रम

हमारे देश भारत में वृक्षारोपण के लिए कई संस्थाएं, पंचायती राज संस्थाएं, राज्य वन विभाग, पंजीकृत संस्था, कई समितिया ये सब वृक्षारोपण के कार्य कराती हैं कुछ संस्थाओं तो वृक्ष को गोद लेने की परंपरा कायम कर रही है शिक्षा के पाठ्यक्रम में भी वृक्षारोपण को भी स्थान दिया गया है पेड़ लगाने वाले लोगों को प्रोत्साहित किया जाना चाहिए आज हमें ए.के. जोन्स की तरह ही वृक्षारोपण का संकल्प लेने की आवश्यकता है।

उपसंहार

आज हमारे देशवासी वनों तथा वृक्षों की महत्ता को एक स्वर से स्वीकार कर रहे हैं वन महोत्सव हमारे राष्ट्र की अनिवार्य आवश्यकता है देश की समृद्धि में हमारे वृक्ष का भी महत्वपूर्ण योगदान है इसलिए इस राष्ट के हर नागरिक को अपने लिए और अपने राष्ट्र के लिए वृक्षारोपण करना बहुत जरूरी

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