Physics, asked by KananShrivastava, 7 months ago

वृक्ष्स्योपरि इत्यस्मिन् पदे संधि अस्ति​

Answers

Answered by nikky61
0

Answer:

सामान्य संधि नियम

जैसे कि पहले बताया गया है, संस्कृत में व्यंजन और स्वर के योग से ही अक्षर बनते हैं । संधि के विशेष नियम हम आगे देखेंगे, पर उसका सामान्य नियम यह है कि संस्कृत में व्यंजन और स्वर आमने सामने आते ही वे जुड जाते हैं;

पुष्पम् आनयति = पुष्पमानयति

शीघ्रम् आगच्छति = शीघ्रमागच्छति

त्वम् अपि = त्वमपि

संस्कृत में संधि के इतने व्यापक नियम हैं कि सारा का सारा वाक्य संधि करके एक शब्द स्वरुप में लिखा जा सकता है; देखिए -

ततस्तमुपकारकमाचार्यमालोक्येश्वरभावनायाह ।

अर्थात् – ततः तम् उपकारकम् आचार्यम् आलोक्य ईश्वर-भावनया आह ।

इसके सारे नियम बताना यहाँ अनपेक्षित होगा, परंतु, सामान्यतः संधि तीन तरह की होती है; स्वर संधि, विसर्ग संधि, और व्यंजन संधि । विसर्ग संधि के सामान्य नियम हम “विसर्ग” प्रकरण में देख चूके हैं । स्वर और व्यंजन संधि की सामान्य जानकारी व उदाहरण नीचे दीये जा रहे हैं ।

सजातीय स्वर आमने सामने आने पर, वह दीर्घ स्वर बन जाता है; जैसे,

अ / आ + अ / आ = आ

अत्र + अस्ति = अत्रास्ति

भव्या + आकृतिः = भव्याकृतिः

कदा + अपि = कदापि

इ / ई + इ / ई = ई

देवी + ईक्षते = देवीक्षते

पिबामि + इति = पिबामीति

गौरी + इदम् = गौरीदम्

उ / ऊ + उ / ऊ = ऊ

साधु + उक्तम = साधूक्तम्

बाहु + ऊर्ध्व = बाहूर्ध्व

ऋ / ऋ + ऋ / ऋ = ऋ

पितृ + ऋणम् = पितृणम्

मातृ + ऋणी = मातृणी

जब विजातीय स्वर एक मेक के सामने आते हैं, तब निम्न प्रकार संधि होती है ।

अ / आ + इ / ई = ए

अ / आ + उ / ऊ = ओ

अ / आ + ए / ऐ = ऐ

अ / आ + औ / अ = औ

अ / आ + ऋ / ऋ = अर्

उदाहरण

उद्यमेन + इच्छति = उद्यमेनेच्छति

तव + उत्कर्षः = तवोत्कर्षः

मम + एव = ममैव

कर्णस्य + औदार्यम् = कर्णस्यौदार्यम्

राजा + ऋषिः = राजर्षिः

परंतु, ये हि स्वर यदि आगे-पीछे हो जाय, तो इनकी संधि अलग प्रकार से होती है;

इ / ई + अ / आ = य / या

उ / ऊ + अ / आ = व / वा

ऋ / ऋ + अ / आ = र / रा

Similar questions