वृक्ष वर्षा बरसाने में सहायक होते है विषय पर अपने विचार लिखिए
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भीषण गर्मी में हमें पेड़ ही राहत देते हैं। इसके पीछे सबसे बड़ा कारण पेड़ों की जड़ों से पत्तियों तक पानी का होना होता है। पेड़ के आसपास नमी रहती है, इसलिए शीतल छाया मिलती है। वैसे भी पेड़ों में प्रकाश संश्लेषण की वनस्पति प्रक्रिया चलती रहती है। यानि जहरीली गैसों को सोखने और प्राण वायु आक्सीजन फेंकने का काम निरंतर चलता है। माना जाता है कि जितना पुराना पेड़ होगा, उसकी उतनी ही गहरी जड़ें होगी। वह पेड़ उतना ज्यादा ही प्रकाश संश्लेषण करेगा। इस प्रक्रिया में कार्बन डाई ऑक्साइड को सोखने, आक्सीजन को बाहर फेंकने के साथ पेड़ों और उनकी पत्तियां से वाष्प बनकर उड़ती रहती है। जिस प्रकार पेड़ों से जहरीली गैसों को सोखने व आक्सीजन को बाहर फेंकने की प्रक्रिया नहीं दिखाई देती है। उसी तरह से प्रकाश संश्लेषण की प्रक्रिया में पानी के वाष्प बनने की प्रक्रिया नहीं दिखती है। पेड़ों व अन्य जलीय श्रोतों से पानी वाष्प बनकर उड़ता भी नहीं दिखता है। वाष्प जो उड़कर जाती है, बदलों में जाकर मिल जाती है। तेज गर्मी पड़ती है तो समुद्र, नदी, झील का पानी सूर्य की तपिश से वाष्प बनकर उड़ जाता है। इसी वाष्पीकरण के चलते आसमान में बादल बनते हैं। उन बादलों में पेड़ों से वाष्प बनकर उड़ने वाला पानी भी मिल जाता है। इससे बादल भारी हो जाते हैं और बरस पड़ते हैं। इसीलिए जिस स्थान पर पेड़ ज्यादा होते हैं, वहां पानी ज्यादा बरसता है। राजस्थान में पेड़ों की कमी है, इसलिए वहां बादल तो बनकर उड़ते हैं। पेड़ों द्वारा वाष्पीकरण की प्रक्रिया पूरी नहीं होने के चलते बादल भारी नहीं होते हैं और हवा के साथ आगे निकल जाते हैं। माना भी जाता है कि जितने घने जंगल होते हैं वहां उतनी ज्यादा बारिश होती है।
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