वाक्य के अंगों में से एक उद्देश्य होता है तथा दूसरा - *
Answers
Explanation:
hello my free fire id LEGENDK5934C
Answer:
भाषा की सबसे छोटी इकाई है वर्ण। वर्णों के सार्थक समूह को शब्द कहते हैं तथा शब्दों के सार्थक समूह को वाक्य। अर्थात् वाक्य शब्द-समूह का वह सार्थक विन्यास होता है, जिससे उसके अर्थ एवं भाव की पूर्ण एवं सुस्पष्ट अभिव्यक्ति होती है। अत: वाक्य में आकांक्षा, योग्यता, आसक्ति एवं क्रम का होना आवश्यक है।
वाक्य के अंग
सामान्य: वाक्य के दो अंग माने गये हैं -
उद्देश्य और
विधेय
1. उद्देश्य -
जिसके सम्बन्ध में वाक्य में कहा जाता है, उसे उद्देश्य कहते हैं। अत: कर्त्ता ही वाक्य में ‘उद्देश्य’ होता है, किन्तु यदि कर्त्ता कारक के साथ उसका कोई विशेषण हो, जिसे कर्त्ता का विस्तारक कहते हैं, उद्देश्य के ही अन्तर्गत आता है। यथा: मेरा भाई प्रशान्त धार्मिक पुस्तकें अधिक पढ़ता है।’ इस वाक्य में ‘मेरा भाई प्रशान्त’ उद्देश्य है, जिसमें ‘प्रशान्त’ कर्त्ता है तो ‘मेरा भाई’ प्रशान्त कर्त्ता का विशेषण अर्थात् इसे कर्त्ता का विस्तारक कहेंगे।
2. विधेय -
उद्देश्य अर्थात् कर्त्ता के सम्बन्ध में वाक्य में जो कुछ कहा जाता है, उसे ‘विधेय’ कहते हैं। अत: विधेय के अन्तर्गत वाक्य में प्रयुक्त क्रिया, क्रिया का विस्तारक, कर्म, कर्म का विस्तारक, पूरक तथा पूरक का विस्तारक आदि आते हैं उक्त वाक्य में ‘धार्मिक पुस्तकें अधिक पढ़ता है’ वाक्यांश विधेय हैं जिसमें ‘पढ़ता है’ शब्द क्रिया है तो ‘अधिक’ शब्द क्रिया का विस्तारक (जो शब्द क्रिया की विशेषता बतलाता है उसे क्रिया का विस्तारक कहते हैं), ‘पुस्तकें’ शब्द कर्म है तो ‘धार्मिक’ शब्द पुस्तकों की विशेषता बतलाने के कारण पुस्तकें ‘कर्म का विस्तारक’ है। इनके अतिरिक्त यदि कोई शब्द प्रयुक्त होता है या जब वाक्य में क्रिया अपूर्ण होती है तो उसे ‘पूरक’ कहते हैं तथा ‘पूरक’ की विशेषता बतलाने वाले शब्द को ‘पूरक का विस्तारक’ कहते हैं।
वाक्य के भेद
क्रिया, अर्थ तथा रचना के आधार पर वाक्यों के भेद प्रभेद किये जाते हैं-
Explanation:
plz mark me as brainliest my dear friend.....I really need it......