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कहानी- बकरी की समझदारी
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दो बकरियां थीं। वो एक पुल के पास रहती थीं। पुल बहुत संकरा था। पुल से एक समय में एक ही बकरी पार हो सकती थी। दोनों बकरियां पुल से नदी पार करती रहती थीं। एक दिन दोनों एक ही समय में पुल पार करने के लिए पहुंचीं। पुल पर दोनों आमने सामने थीं। पुल इतना चौड़ा नहीं था कि दोनों एक बार में पार हो सकें।
एक बकरी ने दूसरी से कहा, तुम पीछे चली जाओ। मुझे उस पार जाना है। दूसरी बकरी बोली, मैं क्यों पीछे जाऊं, तुम क्यों नहीं पीछे हो जाती। कुछ समझ में नहीं आ रहा है क्या। पहली बकरी ने कहा, मैं तुम्हारा कहना क्यों मानूं। बेहतर होगा कि तुम पीछे हो जाओ, जब मैं पुल पार कर लूं, तुम चली जाना। दूसरी बकरी ने कहा, तुम कुछ देर इंतजार नहीं कर सकती क्या।
पहली बकरी ने कहा, मुझे क्यों वापस जाना चाहिए। दूसरी बकरी ने जवाब दिया, मैं तुमसे ज्यादा ताकतवर हूं, इसलिए पीछे हट जाओ। पहली बकरी ने कहा- तुम नहीं, मैं ज्यादा ताकतवर हूं। अपने सींगों को आगे करते हुए उसने कहा, तुम नहीं मानोगी, चलो तैयार हो जाओ लड़ने के लिए। जो जीतेगा, वही पहले पुल पार करेगा। इस पर दूसरी बकरी ने कहा, मैं तुमसे ज्यादा ताकतवर हूं दिमागी तौर पर। मैं तुमसे ज्यादा बुद्धिमान हूं। मैं पुल पर लेट जाती हूं, तुम मेरे ऊपर से होकर पुल पार कर लो। पहली बकरी को अपनी गलती का अहसास हुआ तो वह बोली, मैं लेट जाती हूं, तुम मेरे ऊपर से होते हुए पुल पार कर लो। इस तरह दोनों की सहमति बन गई और दोनों को पुल पार करने में सफलता मिल गई।
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