History, asked by ravikumarthandya, 9 months ago

​विकलांग की मदद करना आप कैसे 75words paragraph in hindi​

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Answered by Adityakumar321
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Answer:प्रत्येक वर्ष 3 दिसम्बर को विश्वभर में ‘अन्तर्राष्ट्रीय विकलांगता दिवस’ मनाया जाता है, जिसका मुख्य उद्देश्य है शारीरिक अथवा मानसिक रूप से अशक्त लोगों की सोच को सकारात्मक कर एवं उनके साथ-साथ समाज के सभी वर्गों की भागीदारी व सहयोग को प्रोत्साहन देकर उन्हें विकास की आम धारा में लाना ।

वास्तव में, मानव समाज सभ्यता के प्रारम्भिक चरण से ही विकलांगता से आ रहा है और आज जब हम 21वीं सदी में पहुँच चुके हैं, तब भी विकलांगों की स्थिति में कुछ खास बदलाव नहीं हुए हैं । संयुक्त राष्ट्र संघ के अनुसार, वर्तमान समय में विश्वभर में एक अरब के आस-पास विकलांग लोग हैं ।

Explanation:

Answered by rashigupta449
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भारत में विकलांगों की संख्या दो करोड़ से अधिक है जिनमें मूक-बधिरों की संख्या कम के कम 12 लाख है.

इनके लिए विशेष स्कूलों का अभाव है जिसकी वजह से अधिकांश विकलांग ठीक से पढ़-लिखकर आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर नहीं बन पाते.

वह बताते हैं, "मुझे अपना काम पसंद है. मैं बहुत मेहनत करना चाहता हूँ और एक दिन मैनेजर बनना चाहता हूँ. फ़ुल-टाइम नौकरी का अर्थ यह है कि अब मैं अपनी बहन की शादी के लिए पैसे बचा सकता हूँ और शायद एक दिन मैं भी शादी करूँ."

रविशंकर लेमन ट्री होटल के 400 विकलांग कर्मचारियों में से एक हैं. इस समूह ने मूक-बधिर लोगों के साथ शारीरिक रूप से अक्षम लोगों और डाउन सिंड्रोम के शिकार लोगों को भारतभर में फैले 27 होटलों में नौकरी पर रखा है.

इसके साथ ही समूह ने अपने सभी कर्मचारियों के लिए इशारों की भाषा सीखना अनिवार्य कर दिया है.

समूह के चेयरमैन और प्रबंध निदेशक पाटू केसवानी कहते हैं, "यह कोई बहुत बड़ी या महत्वपूर्ण रणनीति नहीं है. बस मुझे लगता है कि यह संभव है. और अगर यह संभव हो पाया तो हम इसे तीन और होटलों पर लागू करेंगे. इसके लिए होटल को रीडिज़ाइन करने की ज़रूरत पड़ेगी. फ्रंट डेस्क तक ही नहीं बल्कि कर्मचारियों के लिए हर जगह तक पहुँच ज़्यादा आसान बनानी पड़ेगी."

वे कहते हैं, "हमने चरणबद्ध तरीक़े से इस पर काम करना शुरू कर दिया है. वास्तव में जिस बात से मैं उत्साहित हूँ वह यह कि विकलांग व्यक्ति होटल का जनरल मैनेजर बने. अभी तक हम इस स्थिति में पहुँच नहीं पाए हैं."

केएफ़सी के 'स्पेशियली एबल्ड' रेस्तरां में जब आप खाने के लिए ऑर्डर करते हैं तो आपको मैन्यू कार्ड में लिखा उसे दिखाना भी होता है.

सभी कर्मचारियों को एक जैसा भुगतान किया जाता है और उन्हें किचन में काम करने के साथ ही ग्राहकों से ऑर्डर भी लेने होते हैं.

विकलांग कर्मचारियों वाले कंपनी के रेस्तरां बेहतर प्रदर्शन कर रहे हैं और ग्राहकों के ज़ेहन में ब्रांड को ज़्यादा मजबूत कर रहे हैं. एक रेस्तरां से शुरू हुआ प्रयोग अब 20 रेस्तरां में बदल गया है.

केएफ़सी भारत के जनरल मैनेजर राहुल शिंदे बताते हैं, "अभी हमारे पास छह शिफ़्ट मैनेजर हैं और हमारा लक्ष्य रेस्तरां का पहला जनरल मैनेजर बनाने का है जो 2016 में सवा तीन करोड़ रुपए से साढ़े छह करोड़ रुपए से ज़्यादा के व्यवसाय को संभाल सके."

वे कहते हैं, "यह मॉडल भारत में इतना सफल हुआ है कि मुझे लगता है कि केएफ़सी कुछ अन्य बाज़ारों में भी इसे अपनाएगा और इस कार्यक्रम को आगे बढ़ाएगा."

स्पष्ट आर्थिक लाभों को देखते हुए बहुत से व्यवसायी विकलांगों को अपना कर्मचारी बनाने पर विचार कर रहे हैं.

लेकिन भारत का कॉर्पोरेट जगत अब ऐसे लोगों को प्रशिक्षण और नौकरी देने की पहल कर रहा है.

इस पहल को मूक-बधिर रविशंकर जैसे लोगों के मामले में देखा जा सकता है जो लेमन ट्री होटल में सहायक के रूप में काम करते हैं.

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