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विकलांग व्यक्ति अधिनियम, 2016 (R. P. W. D. अधिनियम 2016)
समावेशी शिक्षा को शिक्षा की एक प्रणाली के रूप में परिभाषित करता है,
जिसमें विकलांगता और बिना विकलांगता वाले छात्र शामिल हैं:
एक साथ सीखें और शिक्षण और सीखने की प्रणाली समान बनी
hom
है
R
सभी
एक ही स्कूल में भाग लें लेकिन विकलाँगता वाले छात्र अलग
कक्षाओं में सीखते हैं
एक साथ सीखें और शिक्षण और सीखने की प्रणाली उपयुक्त रूप
से अनुकूलित है kaun sa Sahi ABC D
Answers
Answer:
Explanation:
A
Answer:
एक साथ सीखें और शिक्षण और सीखने की प्रणाली उपयुक्त रूप से अनुकूलित है
Explanation:
विकलांग व्यक्ति अधिनियम, 2016 (R. P. W. D. अधिनियम 2016) समावेशी शिक्षा को शिक्षा की एक प्रणाली के रूप में परिभाषित करता है, जिसमें सभी एक साथ सीखें और एक साथ शिक्षण ग्रहण करें। चाहे वे किसी भी वर्ग से संबंधित हों। इस अधिनियम के अन्तर्गत विकलांग छात्रों को अन्य सामान्य छात्रों के साथ ही शिक्षण लेने का अधिकार प्रदान किया है, ताकि वह समाज की मुख्यधारा से अलग-थलग न पड़ें और उनका विकास अन्य सामान्य छात्रों की तरह ही हो सके।
संबंधित कुछ और प्रश्न —
समावेशी शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए निम्नलिखित में से कौन सा महत्त्वपूर्ण नहीं है:
समावेशी शिक्षा में एक शिक्षक के लिए सबसे बड़ी शिक्षण दक्षता की यह आवश्यकता होती है कि उसके लिए हमेशा एक चुनौती सामने रहती है कि वह अपनी कक्षा में पढ़ने वाले सारे विद्यार्थियों में आपस में किस तरह समन्वय बना पाता है।
किसी भी कक्षा में अलग-अलग प्रतिभा वाले छात्र हो सकते हैं। कुछ छात्र तेजी से सीखते हैं तो कुछ मध्यम गति से और कुछ अत्यंत धीमी गति से सीखते हैं। सीखने की अलग-अलग प्रवृत्ति वाले इन छात्रों में सबके बीच संतुलन बनाने की दक्षता एक समावेशी शिक्षण शिक्षक में होनी अत्यंत आवश्यक है, क्योंकि यह एक जटिल प्रक्रिया है।
समावेशी शिक्षा में एक शिक्षक अपने शिक्षण कार्य में नवीनता लाने का प्रयत्न करता रहता है ताकि उसके द्वारा पढ़ाई जा रही पढ़ाई में नीरसता व्याप्त ना हो और विद्यार्थियों में रुचि जागृत रहे यह भी समावेशी शिक्षा का एक गुण है। इस तरह समावेशी शिक्षा लोगों में समानता का भाव पैदा करने के लिए शिक्षित किया जाता है।
शिक्षक का विश्वास कि सभी बच्चे एक साथ सीख सकते हैं
सभी
शिक्षक का सकारात्मक और निष्पक्ष रवैया
शिक्षक की सामाजिक-आर्थिक स्थिति:
एक समावेशी शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए शिक्षक की सामाजिक व आर्थिक स्थिति महत्वपूर्ण नहीं होती, क्योंकि शिक्षक की सामाजिक-आर्थिक स्थिति शिक्षक की निजी विषय वस्तु है, उसका समावेशी शिक्षा से कोई संबंध नहीं होता। एक समावेशी शिक्षा के लिए शिक्षक में यह विश्वास होना चाहिए कि सभी बच्चे एक साथ सीख सकते हैं। अगर शिक्षक के मन में यह विश्वास होगा तो वह सही ढंग से सभी बच्चों को एक साथ सिखा सकेगा। शिक्षक का अपने छात्रों के प्रति सकारात्मक और निष्पक्ष रवैया भी समावेशी शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए एक महत्वपूर्ण बिंदु होता है। यदि शिक्षक अपने छात्रों के साथ सकारात्मक और निष्पक्ष व्यवहार नहीं रह करेगा तो वह सभी छात्रों को समावेशी और समान स्तर पर शिक्षा नहीं प्रदान कर पाएगा और उसके छात्र एक साथ नहीं सीख पाएंगे