वाख कविता में बंद द्वार को स्पष्ट कीजिए
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खुलेगी साँकल बंद द्वार की। वाख की व्याख्या- मानव-मात्र को संबोधित करती हुई वह कहती है कि ईश्वर के आराधन की अवस्था में मनुष्य को अपना सर्वस्व समर्पित करना होता है। अत: ऐसा प्रतीत होता है कि जैसे कुछ प्राप्त ही नहीं हुआ। वस्तुत: ईश्वर की कृपा उसका अनुग्रह सब पर समान रूप से होता है।
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